राजनीति

देशहित में अदानी के उत्पादों का करें बहिष्कार- शाहनवाज़ आलम

ललित मोदी और विजय माल्या की तरह भाग सकते हैं अदानी, पासपोर्ट हो जब्त
 इसकी भी जाँच हो कि कहीं मोदी जी खुद अदानी के यहाँ पैकेज पर नौकरी तो नहीं कर रहे 
लखनऊ, . आरएसएस की कोशिश समाज के बहुसंख्यक तबके को गरीब बनाए रखने और कुछ लोगों के हाथों में ही देश की पूंजी को बंधक बनाए रखने की रही है. संघ ऐसा आज़ादी के पहले से करता रहा है. अदानी को भ्रष्ट तरीके से अमीर बनाने के पीछे भी यही उद्देश्य है. जबकि कांग्रेस के शासन में पूजी बहुसंख्यक तबके के हाथों में होती थी. इसलिए आर्थिक खुशहाली भी कमज़ोर तबकों तक पहुंचती थी. ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 84 वीं कड़ी में कहीं.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि कांग्रेस ने 1931 के कराची अधिवेशन में जब प्रस्ताव पास किया कि आज़ाद भारत में देश की संपत्ति का सरकारीकरण किया जायेगा तभी से संघ कांग्रेस के खिलाफ़ बड़े पूंजीपतियों के पक्ष में काम करता है. गांधी जी की हत्या की साज़िश में भी रजवाड़ों ने संघ की इसीलिए मदद की थी कि गांधी आज़ादी के बाद के भारत में संपत्तियों पर से जमीनदारों और पूंजीपतियों का एकाधिकार समाप्त करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि जब नेहरू सरकार ने भूमिहीनों को ज़मीन देने के लिए 1956 में जमींदारी उन्मूलन क़ानून बनाया तब भी जनसंघ ने इस क़ानून का विरोध किया था. इसीतरह जब इंदिरा गांधी ने 26 वां संविधान संशोधन करके राजाओं का प्रिवी पर्स खत्म करके उस पैसे को दलितों के विकास पर खर्च करना शुरू किया तब भी जनसंघ ने इंदिरा गांधी का विरोध किया था.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार अदानी की इसलिए भी जाँच नहीं करा रही है कि इससे यह सच भी सामने आ सकता है कि मोदी जी खुद अदानी जी के यहाँ l पैकेज पर काम कर रहे हों. यानी अब प्रधानमंत्री अदानी हैं और मोदी जी सिर्फ़ उनके एजेंट. उन्होंने कहा कि जनता को अदानी के उत्पादों का बहिष्कार वैसे ही करना चाहिए जैसे आज़ादी के संघर्ष के समय गांधी जी के आह्वान पर विदेशी वस्तुओं का किया गया था. उन्होंने कहा कि मेहुल चौकसे, विजय माल्या, ललित मोदी की तरह अदानी भी देश से भाग सकता है इसलिए उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाना चाहिए.