संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। रानी दुर्गावती मेडिकल काॅलेज में खाली पदों पर भेजे गए चिकित्सा शिक्षा विशेषज्ञों ने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इनकी संख्या आठ बताई गई है, जबकि मेडिकल काॅलेज के सात डाक्टर तबादले पर जा चुके हैं। काॅलेज प्रशासन ने कार्यभार ग्रहण न करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है। डॉक्टरों की कमी से हर दिन सैकड़ों मरीज परेशान होते हैं। एमबीबीएस छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
करीब पांच माह पूर्व शासन स्तर से बड़ी संख्या में डॉक्टरों की तैनाती में फेरबदल किया गया था।
प्रयागराज, कानपुर और आगरा के करीब आठ डाॅक्टरों को रानी दुर्गावती मेडिकल काॅलेज स्थानांतरित किया गया था। हैरत की बात यह है कि स्थानांतरण के बाद भी डाॅक्टरों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। मेडिकल काॅलेज प्रशासन लगातार चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए लगातार पत्राचार कर रहा है। उधर, मेडिकल काॅलेज में नियुक्त सात डॉक्टर स्थानांतरण के तुरंत बाद नई तैनाती स्थल पर जा चुके हैं। ये पद भी लगभग पांच माह से खाली पड़े हैं। बड़ी संख्या में डॉक्टरों के पद रिक्त होने से चिकित्सा शिक्षा प्रभावित हो रही है।
मरीजों को भी विशेषज्ञ डाॅक्टरों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। काॅलेज प्रशासन के मुताबिक इस संबंध में लगातार पत्राचार किया जा रहा है। कार्यभार ग्रहण न करने वाले डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की भी महानिदेशक से मांग की गई है। इन्होंने अब तक ग्रहण नहीं किया कार्यभार डाॅ. एनएन गोपाल (आचार्य, सर्जरी विभाग) प्रयागराज, डाॅ. आनंद कुमार (सहायक आचार्य, दंत रोग विभाग), प्रयागराज, डाॅ. शैलेंद्र सिंह चौधरी (आचार्य, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग), आगरा, डाॅ. आलोक मवार (सह आचार्य, बायोकेमेस्ट्री विभाग), आगरा, डाॅ. बादल सिंह (सह आचार्य, एनाटमी विभाग), प्रयागराज, डाॅ. अशोक कुमार वर्मा (सह आचार्य, रेडियोडायग्नोसिस), कानपुर, डाॅ. राजेश कुमार यादव (सह आचार्य, बाल रोग विभाग), प्रयागराज, डाॅ. अपूर्व अभिनंदन मित्तल (आचार्य, निश्चेतना विभाग), आगरा शामिल हैं