संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। जिलाधिकारी आवास से चन्द कदम की दूरी पर बिजलीखेड़ा मोहल्ले में मेनरोड से स्थित छत्रसाल संग्रहालय दुर्दशा का शिकार है।अतिक्रमण कर सरकारी भूमि को माफिया बेंच रहा है। करोड़ों की चपत सरकारी राजस्व को लग चुकी है। यहाँ रखी बेशकीमती मूर्तिया गायब हो चुकी है।जो बची है धूल और मिट्टी में दब रही है।यहाँ रखी ज्ञान का भंडार रूपी पुस्तकों को दीमक चट्ट कर रहे है। यही नही सरकारी दस्तावेजों में महाराज छत्रसाल संग्रहालय के नाम दर्ज 2 बीघे 17 बिस्वा जमीन सिर्फ पुराने कागजो में दर्ज है। जबकि मौके पर कुछ नही बचा है।भूमाफिया ने कागजो में हेर फेर करते हुए करोड़ो रूपये की सरकारी सम्प्पत्ति का विक्रय भी कर दिया है। जो बची है उसमें भी दरवाजे खिड़की कर काबिज हो चुका है।
ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों, को यह मालुम नही है उनके संज्ञान में पूरी जानकारी है कि किस तरह से मण्डल के एकमात्र ऐतिहासिक संग्रहालय को भूमाफिया दीमक की तरह चाट रहे हैं।पर कलम और जुबान इसलिए बन्द है कि वह भी इस खेल में कही न कही प्रत्यक्ष रूप से न सही पर अप्रत्यक्ष रूप से सामिल है।
वर्तमान में हालत यह हो चुकी हैं कि संग्रहालय की दुर्दशा देख बुद्वि जीवीयों का मन द्रवित हो उठता है। लगभग तीन दशक पूर्व जब राजस्व अभिलेखों में दर्ज पूरी जमीन सुरक्षित थी। वहाँ रखी प्रचीन मूर्तियों की नक्काशी, चित्रकारी देख मन गदगद हो जाता था। छात्र यहाँ रखी किताबो से अपना भविष्य सवारने के लिए प्रयासरत रहते थे। पर सब कुछ खुर्द -बुर्द हो रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों की कथित लापरवाही से यह छत्रसाल संग्रहालय जो अपने मे इतिहास को समेटे था जल्द ही इतिहास बन जानें की ओर अग्रसर है।