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केंद्र में सरकार बनने पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ़ क़ानून बनायेगी कांग्रेस- शाहनवाज़ आलम

 गहलोत सरकार ने 2019 में मॉब लिंचिंग के खिलाफ़ क़ानून पास करके राष्ट्रपति को भेज दिया था, लेकिन संघी होने के कारण महामहिम ने  हस्ताक्षर  नहीं किये 
 ग़ाज़ीपुर, . राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 5 अगस्त 2019 को मॉब लिंचिंग के खिलाफ़ क़ानून पास करके राष्ट्रपति को भेज दिया था. इसमें हत्यारों को उम्र क़ैद का प्रावधान था. लेकिन संघ से जुड़े होने के कारण राष्ट्रपति महोदय ने उसपर हस्ताक्षर नहीं किए. जिससे यह क़ानून अमल में नहीं आ सका. 2024 में कांग्रेस की सरकार बनने पर पूरे देश में मॉब लिंचिंग के खिलाफ़ क़ानून बनाया जाएगा. 
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 85 वीं कड़ी में कहीं. 
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि राजस्थान जैसे शांतिप्रिय जगह पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ भीड़ हिंसा की घटनाएं कराकर भाजपा समाज को बांटने की कोशिश कर रही है. इसीलिए जुनैद और नासिर को ज़िंदा जलाने के आरोपी हरियाणा निवासी मोनू यादव उर्फ मोनू मानेसर को हरियाणा पुलिस गिरफ्तारी से बचा रही है. जबकि राजस्थान पुलिस ने बाकी हत्यारों को पकड़ लिया है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने मृतक परिवारों को 41 लाख मुआवजे की भी घोषणा की है. 
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ़ क़ानून का मसौदा प्रस्तुत करते हुए राजस्थान सरकार के तत्कालीन संसदीय कार्य मन्त्री शांती धारीवाल ने आंकड़ो के साथ बताया था कि 2014 में मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं में से अकेले 86 प्रतिशत घटनाएं सिर्फ़ राजस्थान में हुई थीं. जिससे स्पष्ट होता है कि घाटमिका कांड भी भाजपा ने चुनाव से पहले राजस्थान का माहौल बिगाड़ने के लिए करवाया है. 
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को याद रखना चाहिए कि 2015 में अखिलेश यादव की पूर्ण बहुमत की सरकार थी लेकिन उन्होंने अखलाक की हत्या के बावजूद भीड़ हत्या के खिलाफ़ विधान सभा में कोई क़ानून नहीं बनाया था. जबकि कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाते ही सबसे पहले मॉब लिंचिंग के खिलाफ़ क़ानून पास करके राष्ट्रपति को भेज दिया था.