उर्दू गंगा जमुनी तहजीब और दो संस्कृतियों का समावेश है -जिलाधिकारी अंशुल कुमार
भागलपुर। उर्दू निदेशालय, पटना के निर्देश पर जिला उर्दू भाषा कोषांग बांका के तत्वावधान में टाउन हॉल ,चंद्र शेखर सिंह भवन में फरोग उर्दू सेमिनार- मुशायरा एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन बांका के जिलाधिकारी अंशुल कुमार, आईएएस ने किया।
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, बांका कौशलेंद्र कुमार और प्रभारी पदाधिकारी जिला उर्दू भाषा कोषागा, निरंजन कुमार आदि उपस्थित थे। मंच संचालन डॉक्टर शाहिद रजा जमाल ने किया।
कार्यक्रम का आरंभ पुष्प गुच्छ एवं स्वागत से हुआ तत्पश्चात दीप प्रज्वलन के बाद संचालक डॉक्टर शाहिद ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा की उर्दू एक भाषा ही नहीं बल्कि तहजीब है और दुनिया की कम भाषाएं ऐसी हैं जो अपने तहजीब और संस्कृति को साथ लेकर चलती हैं। उन्होंने उर्दू को सरकारी सहायता तक सीमित न करने की बात कही और लोगों से विशेषकर छात्राओं से अपील की कि उर्दू का चलन घरों से आम करें।
अध्यक्षीय भाषण में जिलाधिकारी अंशुल कुमार ने उर्दू को गंगा जमुनी तहजीब और दो संस्कृतियों का समावेश बताते हुए का कि यह हमारे राष्ट्र की धरोहर है और समस्त भाषाओं का विकास और संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने उर्दू भाषा कोषांग को एक दिन का पूर्ण कार्यक्रम आयोजित करने पर बधाई दी दूसरे सत्र में कई आलेख पाठ प्रस्तुत किए गए जिनमें डॉक्टर शाहिद रजा जमाल ,एसोसिएट प्रोफेसर मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर, मोहम्मद अनस अशरफी और मोहम्मद मुस्तकीम ने अपना आलेख प्रस्तुत किया। प्रतिनिधि के तौर पर डॉक्टर मुर्शीद खान, साजिया परवीन और मिनहाज आलम ने अपने विचार रखे। इसके बाद वाद- विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया जिनमें अदीबा आफरीन, शगुफ्ता, नेहा खातून आदि प्रमुख हैं।
तीसरे सत्र में मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें मजर मुजाहिदी, नईमुद्दीन, जुनेद रजा, जावेद अनवर ,काजिम अशर्फी, इकराम हुसैन, फैज रहमान, डॉक्टर बहाब आदि ने अपने कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया मुशायरे की अध्यक्षता जौसर अयाग ने की।अंत में प्रभारी उर्दू कोषांग श्री निरंजन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में उर्दू भाषा कोषांग के कर्मी विशेषकर हसनैन फारूक की भूमिका अहम रही।