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सांसद पुष्पेन्द्र से तिंदवारी विधानसभा निराश हुजूर आते -आते बहुत देर कर दी


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। हमीरपुर महोबा तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र के सांसद “कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल” को आखिर देर सबेर तिंदवारी विधानसभा के सांसद की हैसियत से कुछ विकास कार्य करने की याद सताने लगी है,लेकिन तिंदवारी क्षेत्र की जनता में तो यही चर्चा है कि ” कई सालों से दर पे आँखें लगी थीं,हुजूर आते -आते बहुत देर कर दी”।
आपको बता दूँ कि हमीरपुर – महोबा लोकसभा संसदीय सीट में बांदा जिले की तिंदवारी विधानसभा सीट भी आती है। लेकिन “तिंदवारी का यह दुर्भाग्य रहा कि वह अपनें सांसद से हमेशा उपेक्षित रहा”।

तिंदवारी की “मासूम जनता” अपनें “सांसद के वादों की भूल -भुलैया में अपनी समस्याओं को लेकर भटकती” रहीं। उसको तो यही “भूले -बिसरे गीत याद” से आ रहें हैं कि “क्या हुआ तेरा वादा वो कसम वह इरादा” क्योंकि सांसद चंदेल जो अपनें नाम के आगे “कुँवर लगा कर गदगद” रहते हैं ऐसी स्थिति में “कुँवर जैसा रुआब भी तिंदवारी की जनता को उनके दिल से दूर” ले गया? हमीरपुर और महोबा भी सिसिकिया भर रहे हैं ? अपनें लगातार दो कार्य काल में वह कोई “ऐसी विकास की छाप नहीं छोड़ पाये जिसके लिये तिंदवारी विधान सभा क्षेत्र की जनता उनकी मुरीद सी लगे”। अब चुनाव निकट आ गया हैं।

भाजपा हाई कमान अपनें “सांसदों की क्षेत्र में लोकप्रियता का रिपोर्ट कार्ड” तैयार करवा रहीं है ,ऐसे में बुंदेल खंड के कुछ नेता जो “सांसद के रूप में मुर्दा” से साबित हुये माननीय भी अपनें को पुनः “अमृत पान की नाकाम कोशिशों” में जुट गये हैं?समीक्षकों का मानना सा हैं कि इसी क्रम में “सांसद पुष्पेन्द्र को तिंदवारी के पुष्प की खुशबू की जरूरत महसूस” होने लगी हैं। क्योंकि टिकट की हाय -दईया नींद उड़ाये है।


वैसे भी सांसद पुष्पेन्द्र सिंह को भाजपा नें जब दुबारा टिकट रिपीट किया तो इस संसदीय क्षेत्र की राजनीति में रुचि रखने वाले राजनीतिक समीक्षक हैरान से रह गये थे? क्योंकि उनको टिकट की पुनरावृत्ति होने की उम्मीदें शून्य थीं। लेकिन भाग्य चका-चक साबित हुआ। पीएम की लोक प्रियता नें जीत दिला “भाग्य का मुरझा रहा कमल खिला” दिया।

मंगलवार को तिंदवारी भ्रमण कर पुष्पेन्द्र नें यहां से लगाव औऱ विकास की झलक की “कबड्डी -कबड्डी” खेली। पर उनकी “कबड्डी जनता को कथित तौर पर फिसड्डी” सी महसूस होती दिखी?भ्रमण में वह पिपरहरी गये। मार्ग दुर्गघटना में मरे पांच लोगों के परिवार वालों से मिले औऱ लोकतरा में संपर्क मार्ग का लोकार्पण किया। पर कथित तौर पर “लोकप्रियता का सा दृश्य” महसूस नहीं हुआ?