राजनीति

योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ याचिका अस्वीकार किया जाना न्यायिक नहीं राजनीतिक फैसला- शाहनवाज़ आलम

अखिलेश जी ने राजधर्म निभाया होता तो योगी जी को जेल गए 15 साल हो गए होते
लखनऊ,. अल्पस्यंखक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ 2007 में भड़काऊ भाषण मामले में अभियोजन स्वीकार करने के लिए दायर याचिका का खारिज किया जाना न्यायिक से ज़्यादा राजनीतिक फैसला है. ऐसे जजों के फैसलों से न्यायपालिका कि छवि सरकार के अंग की बन रही है. जो न्यायपालिका की साख के लिए घातक है. 
कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 2007 में धारा 144 का उल्लंघन कर गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में योगी आदित्यनाथ उर्फ़ अजय सिंह बिष्ट के खिलाफ़ विवेचना की मांग वाली याचिका स्वीकार करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं दिया था इसलिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष इस विषय पर निर्णय करने का अवसर खुला था लेकिन अदालत ने याचिका ही खारिज़ कर दी. अगर ऐसा किसी न्यायिक परिधि के अधीन आने वाले तर्क के साथ किया जाता तो आपत्ति नहीं होती.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जज डीके सिंह का यह कहना कि ‘याची स्वयं कई मुकदमों के विचारण का सामना कर रहा था और 2007 से इस मामले को लड़ रहा है. निश्चित रूप से याची ने इसमें भारी भरकम रकम भी खर्च की होगी. वकीलों को फ़ीस देने और मुकदमा लड़ने के लिए उसके साधन क्या हैं, यह जाँच का विषय है.’ किसी स्वतंत्र जज के बजाए सरकार के किसी प्रवक्ता का कुतर्क लगता है.
उन्होंने कहा कि जज साहब याचिककर्ता के जिस मुकदमे की बात कर रहे हैं उसमें गोरखपुर के तत्कालीन जिला जज गोविंद वल्लभ शर्मा ने रिटायर होने से एक दिन पहले सज़ा सुनाई थी और दूसरे ही दिन उन्हें योगी सरकार ने स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रीब्यूनल का सदस्य बना दिया था. 
इसी तरह जज मोहदय का सरकारी वकील के दलील से सहमति व्यक्त करते हुए यह कहना कि ‘महाअधिवक्ता के इस तर्क में बल प्रतीत होता है कि याची कुछ ऐसी ताकतों का मुखौटा है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश को अस्थिर करना चाहती है’ भी एक विशुद्ध राजनीतिक टिप्पणी है. उन्होंने कहा कि इस तर्क के आधार पर तो कोई भी नागरिक मुख्यमन्त्री या किसी मन्त्री की कटघरे में खड़ा ही नहीं कर पायेगा क्योंकि उसे जज ही राज्य विरोधी बता देंगे.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जज का काम मुकदमों की मेरिट के आधार पर फैसला करना है ना कि सरकार के प्रभाव में याचिकाकर्ता की छवि बिगाड़ना है और ना उसके द्वारा वकील को दिये जाने वाले फ़ीस के पैसे का जाँच कराना. 
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ संगीन मुकदमों की इमानदारी से विवेचना कराई होती तो योगी जी को जेल गए 15 साल हो गए होते.