संवाद – सादिक जलाल (8800785167 )
नई दिल्ली। भारत में आग लगने की दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बिजली के शॉर्ट सर्किट हैं, जो अक्सर खराब गुणवत्ता वाले तारों और केबलों के परिणामस्वरूप घटित होते हैं। एएससीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में, इंसानों की कुल जितनी मौतें हुईं उनमें से लगभग 73% मौतें बिजली के झटकों से हुई, जिसमें से लगभग 11% बिजली से लगी आग और लगभग 16% बिजली गिरने जैसे कारणों से हुई। आग लगने की स्थिति में आग से जलकर मरने वाले लोगों की तुलना में कहीं अधिक लोग आग के चलते निकलने वाले धुएं से मरते हैं जो कि एक अल्प ज्ञात तथ्य है। इन गंभीर जोखिमों को दूर करने के लिए, आरआर काबेल के प्रबंध निदेशक एवं आईईईएमए के पूर्व अध्यक्ष, श्री श्रीगोपाल काबरा के साथ-साथ एल्मेक्स ग्रुप के प्रबंध निदेशक एवं आईईईएमए के अभी हाल तक अध्यक्ष रहे, विपुल रे, और केप इलेक्ट्रिक के प्रबंध निदेशक एवं एनएफई (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंजीनियर्स फॉर इलेक्ट्रिकल सेफ्टी) के सदस्य, एस. गोपा कुमार जैसे इंडस्ट्री लीडर्स ने भारत में उच्च गुणवत्ता वाले तारों और केबलों को प्राथमिकता न दिए जाने को रेखांकित किया।
इंडस्ट्री लीडर्स का मानना है कि मौजूदा और नई दोनों ही इमारतों में बिजली से लगने वाली आग से सुरक्षा के महत्व के बारे में लोगों और अधिकारियों को जागरूक किया जाना महत्वपूर्ण है। संगठनों को शीघ्र यह पता लगाना चाहिए कि वे आग से सुरक्षित हैं या नहीं। शीर्ष प्रबंधन स्तर पर, आग के लिहाज से सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने वाले स्थानों के निर्माण के तरीके में प्रणालीगत परिवर्तनों को लागू करना आवश्यक है। आवासीय समुदायों, विशेष रूप से ऐसी ऊंची इमारतों, जिनमें आग लगने का अधिक जोखिम होता है, उनके लिए नियमित रूप से फायर ऑडिट्स एवं संबंधित अभ्यास कराया जाना महत्वपूर्ण है।