कुंज बिहारी कौ बसंत सखी, चलहू न देखन जाहीं…
पं. ब्रजभूषण गोस्वामी का ध्रुपद गायन सुन आनंदित हुए श्रोता
आगरा। ताज महोत्सव के मुक्ताकाशीय मंच पर गुरूवार को वृंदावन बसंत प्रकट हो गया। दिल्ली से पधारे विख्यात धु्रपद गायक पं. ब्रजभूषण गोस्वामी ने ब्रज के पारंपरिक पदों में ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने गायन का प्रारंभ राग यमन में आलाप से किया। चार अंगों के अलाप में विलंबित से शुरू होकर दु्रुतलय में ब्रजभूषण के कंठ की गमक सुन श्रोता आनंदित हो उठे। आलाप के बाद चैताल में निबद्ध पद ‘चलौ हटौ जाओ..बनवारी, छाड़ों बईयां मोरी…ढीट लंगर लाज ना आवत तुम कौ..सब सखियां हंसती आज’ सुनाया। इसके बाद राग बसंत में दस मात्रा की सूलताल में निबद्ध एक पद ‘कुंज बिहारी कौ बसंत सखी…चलहू न देखन जाहीं’ सुनाकर श्रोताओं को बसंत रितु के सुख का अनुभव करा दिया। अपने गायन का समापन उन्होंने उन्होंने राग पूरिया कल्याण द्रुत लय चैताल में ‘राधिके सुजान तेरौ हित सुख निधान‘ से किया। उनके साथ सारंगी पर पं. कुलभूषण गोस्वामी और पखावज पर संगत पं. गिरधारीलाल शर्मा ने की।