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बांदा में कांग्रेस आपसी कलह की शिकार पार्टी संविधान का उलंघन कर मनोनयन


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। प्रदेश में शक्ति विहीन हो चुकी कांग्रेस बांदा में कलह के चलते लुटिया डुबाऊ स्थिति में हैं। महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर में हो रहे 85 वे अधिवेशन पर भी आपसी कलहउभर कर सामने आई है। हुआ यह कि अधिवेशन के अंतिम दिन यानी 26 फरवरी की सुबह प्रांतीय प्रतिनिधियों की अंतिम सूची जारी हुई। जिसमें नव मनोनीत पीसीसी सदस्य राष्ट्रीय अधिवेशन में पहुंच ही नहीं सकते। अपनी नाकामियों को छिपाने और विवाद से बचने के लिए सूची का प्रकाशन अंतिम दिन किया गया।

अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में बांदा में कांग्रेस को बुलंदियों पर ले जाने वाले तत्कालीन जिला अध्यक्ष साकेत बिहारी मिश्रा जिन्होंने 4 विधानसभा सीटों में दो विधायक और दो जगह निकटतम प्रतिद्वंदी तथा 6 जिला पंचायत सदस्य व नगर पालिका टाउन एरिया में 40 सभासद दो चेयरमैन एवं प्रधानमंत्री की जनसभा कराने का कीर्तिमान स्थापित किया उनका नाम इस सम्मेलन की लिस्ट से बाहर कर दिया गया। अंतिम सूची में नाम घोषित किया गया। इसी तरह वर्ष 2009 में कांग्रेस का लोकसभा चुनाव लड़े पूर्व पीसीसी सदस्य भगवानदीन गर्ग, दो बार विधायक रहे शिरोमण भाई तथा महुआ के ब्लाक प्रमुख रहे जुझार सिंह के परिवारी एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता धर्मेश कुमार सिंह जैसे लोग लिस्ट से बाहर हो गए।

26 फरवरी को अधिवेशन के अंतिम दिन उपरोक्त सभी को पीसीसी सदस्य घोषित करते हुए अधिवेशन में आने का न्योता दिया गया, लेकिन चारों के चारों जाने में इसलिए असमर्थ हो गये कि रायपुर जाने का रास्ता 12 घंटे से अधिक का है तब तक अधिवेशन सिमट जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भगवानदीन गर्ग ने कहा कि हम तो पार्टी के सिपाही हैं आलाकमान का आदेश मानेंगे लेकिन चाहे भी तो अधिवेशन के समय पर नहीं पहुंच सकते।कांग्रेस के भरोसेमंद सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में पीसीसी सदस्य एआईसीसी सदस्य बनाने में भारी गोरखधंधा किया गया है। जो पार्टी का प्राथमिक सदस्य भी नहीं है उसे एआईसीसी सदस्य बना दिया गया।

जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय अधिवेशन में पदेन एआईसीसी सदस्य होता है लेकिन बांदा और जालौन के जिला अध्यक्षों को पीसीसी , आईसीसी सदस्य भी बना दिया गया। जो संविधान के विरुद्ध है। जिन लोगों को राष्ट्रीय अधिवेशन में अधिकृत किया जाना चाहिए उन लोगों का नाम अंतिम सूची में जोड़ दिया गया ताकि वह पहुंच ही ना सके। किसी तरह की वास्तविकता से आलाकमान को अवगत न करा पाये। पूर्व विधायक वैसे भी राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए अधिकृत होते हैं ,पर जिले के एकमात्र पूर्व विधायक शिरोमण भाई का नाम जानबूझकर दबा दिया गया!जब लिस्ट जारी की गई तो उनके नाम में भी त्रुटि कर दी गई।

इसी तरह पूर्व सांसद व पूर्व जिला अध्यक्ष रामनाथ दुबे के पुत्र कांग्रेस के कद्दावर नेता वर्तमान में अधिवक्ता संघ के जिला अध्यक्ष राजेश दुबे को भी लिस्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पुराने कांग्रेसियों में संकटा प्रसाद त्रिपाठी, लक्ष्मी नारायण गुप्ता, राजबहादुर गुप्ता, मोहम्मद इदरीश आदि को भी तरजीह नहीं दी गई। लेकिन नोटा से कम वोट पाने वाले पूर्व प्रत्याशियों को जरूर तरजीह दी गई।कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेताओं में इस हरकत से रोष है। सभी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे को मेल के जरिए शिकायत दर्ज कराई है।