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हम इस्लाम के उसूलों के मुताबिक़ काम करेंगे तो कभी भी नुक़सान नहीं होगा- हाजी मुहम्मद इक़बाल

आगरा। सिकंदरा स्थित नहर वाली मस्जिद के ख़तीब व इमाम ए जुमा हाजी मुहम्मद इक़बाल ने जुमा के ख़ुत्बे में कहा कि हर चीज़ की रहनुमाई इस्लाम ने दी है बस हमको जानने की ज़रूरत है। अल्लाह के नबी के इस किस्से से हमको समझ आ जायेगा कि जब हालात आपके बस में न हों तो क्या करें, अल्लाह के नबी 13 साल तक मक्का में रहे और रोज़ ही काबा में भी जाते थे वहाँ अलग-अलग तरह के बुत भी रखे हुए थे, मगर आपने कभी उनको हटाने की कोशिश नहीं की, बुतों को नज़रअंदाज़ किया और जो लोग बाहर से काबा आते थे उनको आप इस्लाम की पहचान कराते थे, यानी उस वक़्त को आपने इस्लाम की तब्लीग़ के लिए इस्तेमाल किया। इससे मालूम होता है कि जब हालात आपके बस में न हों तो आपको तमाम चीज़ों को नज़र अंदाज़ करके अपना काम ख़ामोशी से करना चाहिए, ये इस्लाम का एक उसूल है। जब मक्का फ़तह हो गया, हालात बदल गए तो काबा को पाक-साफ़ कर दिया गया, अब इस्लाम का उसूल आगे बढ़ने का था।
मालूम हुआ कि हालात के हिसाब से हमको फ़ैसला करना है कि कब नज़र अंदाज़ करना है और कब आगे बढ़ना है। अगर हम इस्लाम के उसूलों के मुताबिक़ काम करेंगे तो कभी भी नुक़सान नहीं होगा। आजकल जो हालात हैं उसमें हमको यही उसूल ध्यान में रखकर अपने वक़्त को गुज़ारना है। वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता, हालात बदलते रहते हैं। इसीलिए किसी भी हालात में मायूस होने की ज़रूरत नहीं है। हौसला रखें और दीन पर सख़्ती से अमल करते रहें। नज़र अंदाज़ और आगे बढ़ने के उसूल को ज़ेहन में रखें, अल्लाह की मदद ज़रूर आएगी। इन-शा-अल्लाह।
“और बेशक आपका रब ही सब पर ग़ालिब और रहम करने वाला है।” (सूरह शुअरह : 104)
अल्लाह हम सबको इस्लाम के उसूलों पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।