अन्य

शब-ए-बरात – इबादत, सख़ावत और मग़फिरत की रात

शब-ए-बारात को इस्लाम धर्म में इबादत की रात के तौर पर जाना जाता है. शब-ए-बारात की रात इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक आठवें महीने शाबान की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होकर 15वीं तारीख की शाम तक मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बरात की रात 7 मार्च मंगल को सूरज ढलते ही शुरू हुई. इबादत, तिलावत, सखावत (खैरात) और गुनाहों से तौबा करने के इस त्योहार के लिए मस्जिदों में खास सजावटें की गई। मंगल की रात मनाए जाने वाले शब-ए-बरात के त्योहार पर कब्रिस्तानों में भी लोगों का का आना-जाना, इबादत करना लगा रहा।

पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की ज़ियारत, हैसियत के मुताबिक खैरात और गुनाहों से तौबा करना इस रात के अहम काम है। इस रात मुस्लिम अपने उन परिजनों, जो दुनिया से रूखसत हो चुके हैं, की मगफिरत (मोक्ष) की दुआएँ करने के लिए कब्रिस्तान जाते हैं।
इस रात अल्लाह अगले वर्ष के सारे फैसले कर देते है. रात को इबादत कर रहे लोगों के गुनाह अल्लाह के फज़लों करम से माफ होते हैं.
दरगाह हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला रह. पर सारी रात हज़ारों ज़ायरीनों का आना जाना लगा रहा लोगों ने दरगाह की मस्जिद में अपनी नफिल नमाज़े अदा की, दरगाह शरीफ के सज्जादा नशीन और मुतवल्ली सैय्यद मोहतशिम अली साहब की तरफ से रोशनी, पानी और सभी तरह के इंतजाम जिससे लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो का माकूल इंतजाम किया गया था । सज्जादा नशीन साहब ने एडमिनिस्ट्रेशन, पुलिस प्रशासन एसीपी ताज सुरक्षा, एसएचओ और एस ओ, थाना न्यू आगरा, नगर निगम व बिजली विभाग टोरेंट पावर का बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया, जिनकी चाक चौबंदी और वक्त से पहले सभी तरह के इंतजामों को अंजाम देने की वजह से सारी रात ज़ायरीन आराम से इबादत कर सके।