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होली के हुड़दंग में हों तन पर रंग हजार…

रसोई रत्न के होली मिलन में गुदगुदाईं कविताएं
बेमिसाल 20 साल पर डीलर्स मीट का आयोजन

आगरा। होली पर रंगों के साथ कविताओं की बौछार करते हुए रसोई रत्न ने किया होली मिलन समारोह का आयोजन। हास्य और श्रंगार रस से सजी कविताओं का आनंद लेते हुए सभी ने एक दूसरे के गालों पर गुलाल लगाया और ठंडाई के साथ फागोत्सव की एकदूसरे को बधाई दीं।
10 मार्च, शुक्रवार को कमला नगर स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन पर रसोई रत्न परिवार द्वारा डीलर्स के साथ होली मिलन समारोह का आयोजन किया। कार्यक्रम का आरंभ मेयर नवीन जैन, रसोई रत्न के चेयरमैन राजेश अग्रवाल, लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष भुवेश अग्रवाल, नेशनल चैंबर इंडस्ट्रीज एन्ड कामर्स के अध्यक्ष राजेश गोयल, उपभाेक्ता फोरम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार, उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष टीएन अग्रवाल और श्री क्षेत्र बजाजा कमेटी अध्यक्ष सुनील विकल द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। रसोई रत्न के चेयरमैन राजेश अग्रवाल ने ब्रांड के विषय में डीलर्स को जानकारी दी और उनका उत्साहवर्धन किया। इसके बाद छेड़ी गयी हास्य और व्यंग की फुहार। देश के प्रसिद्ध कवियों ने अपनी शब्द पिचकारी से सभी को सराबोर किया। डॉ शशि तिवारी, शिवसागर शर्मा, लटूरी लट्ठ, डॉ रुचि चतुर्वेदी, संगीता अग्रवाल, डॉ अनुज त्यागी, हरीश अग्रवाल, राकेश निर्मल, पदम गौतम और अलका अग्रवाल ने काव्य प्रस्तुति दी। रंगारंग कार्यक्रम का आनंद लेते हुए महेंद्र सिंघल, मनीष अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, भुवेश अग्रवाल, राकेश गर्ग, मुरारी प्रसाद अग्रवाल, अजीत फौजदार आदि उपस्थित रहे।

इन्होंने दी काव्य प्रस्तुति
मारै मत कांकरिया होरी में, कांकर कौ मोहे कछु डर नाहीं, फूटै मोरी गागरिया होरी में…डॉ शशि तिवारी। होली के हुड़दंग में हों तन पर रंग हजार, गले आप सबसे मिलें, पर गले न पड़ना यार…हरीश अग्रवाल, ढपोरशंख। हर किसी के दिल पे अपनी इतनी हिस्सेदारी हो, हम अगर रो दें, हंसाना सबकी ज़िम्मेदारी हो…राकेश निर्मल। गुण गायें अपनी धरती के भारत शक्ति बोध बढ़े, ले हाथों में चलें तिरंगा राष्ट्र नए प्रतिमान गढ़े…पदम गौतम। होली कैसे खेली जाती ये तो नहीं बताना है, पड़ना नहीं गले है तुमको उनको गले लगाना है….लटूरी लट्ठ। बॉलीवुड के हीरो हैं वो, छवि है उनकी आला, तीर भी उनके हाथ में लागे जैसे कोई भाला… अनुज त्यागी। कजरारी अखिंयां पाय घनौंई इतराबै कजरा, कजरा सौं कछू न बस्याय सबनि कूँ बिराबै कजरा…शिवसागर शर्मा। खुशियां द्वार सजाये अबकी बार होली में, मौसम रंग लगाए अबकी बार होली में…डा रुचि चतुर्वेदी। आयो फागुन कौ महिनौ, वृंदावन जायेंगे बरसाने जायेंगे, वहां फाग मनाएंगे…संगीता अग्रवाल, सब तेरे ही हैं दिए, बिखरे जितने रंग। खुद को मैं तो पा गयी कान्हा तेरे संग…अलका अग्रवाल आदि ने हास्य कविताओं की प्रस्तुति दी।