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ज़कात को अगर प्लानिंग के हिसाब से मुसलमान अदा करे तो दुनिया में कोई मुसलमान ग़रीब नहीं रहेगा – हाजी मुहम्मद इक़बाल


आगरा।  सिकंदरा स्थित नहर वाली मस्जिद के इमाम ए जुमा हाजी मुहम्मद इक़बाल ने जुमा के ख़ुत्बे में कहा कि आज हम इस्लाम के एक अहम स्तम्भ ज़कात के बारे में बात करेंगे , ज़कात वो है कि अगर उसको प्लानिंग के हिसाब से मुसलमान अदा करे तो हक़ बात ये है कि दुनिया में कोई मुसलमान ग़रीब नहीं रहेगा, रमज़ान नज़दीक है और मुसलमानों की बहुसंख्यक आबादी रमज़ान में ही ज़कात अदा करती है, लेकिन देखने में ये बात आती है कि आप हर साल जिसको ज़कात देते हैं वो शख्श  हर साल फिर आपसे ज़कात माँगता नज़र आता है। आख़िर ऐसा क्यों है कि हर साल इतनी ज़कात लोग दूसरे लोगों को देते हैं, फिर भी लोग ग़रीबी में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं, तो इसका मतलब साफ़ है कि हम बग़ैर किसी प्लानिंग के काम कर रहे हैं जबकि इस्लाम ने बेहतरीन प्लानिंग दी है कि हर शहर में अपना बैतुलमाल (कोष ) हो जिसमें लोग अपनी ज़कात जमा कराएं, वहाँ से ज़रूरतमन्दों की मदद की जाए, ये दुरुस्त तरीक़ा है लेकिन इस पर अमल नहीं होता। इसीलिए हर साल लेने वालों की तादाद बढ़ जाती है, हमें सबसे पहले इस बढ़ती हुई तादाद पर रोक लगानी चाहिए, वो काम इस तरह मुमकिन है कि आप बाँटने के तरीके में बदलाव करें। आप एक आदमी का चुनाव करें और उससे मुकम्मल तौर पर बात-चीत करें उसको इतनी रक़म दें कि वो कोई अपना काम शुरू कर सके, उसको इस बात की सख़्त ताकीद करें कि तुमको आने वाले साल किसी से ज़कात नहीं लेनी, इस तरह आपने एक आदमी कम कर दिया, हर शख़्स अगर इसी तरह लोगों की मदद के वक़्त उसको इस बात का पाबंद करें कि वो किसी से ज़कात नहीं लेगा तो ये तादाद रुक जाएगी और फिर एक वक़्त वो भी आजाएगा जब ये लोग भी इस क़ाबिल हो जाएंगे कि अपनी ज़कात निकालें। पहले हम रोक लगाएं, इस तरह ख़ुद-ब-ख़ुद देने वालों की तादाद बढ़नी शुरू हो जाएगी इन-शा-अल्लाह।
ये जो बाँटने का तरीक़ा है कि घर के बाहर या फैक्ट्री के बाहर लाइन लगी होती है, इससे तो हम लेने वालों में इज़ाफ़ा ही करते हैं। क्या आपने किसी सिख बिरादरी के शख़्स को माँगते हुए देखा है? जवाब है नहीं। क्यों, उनका एक सिस्टम है, अल्लाह के बंदों! दुनिया में फाइनेंस का सबसे बेहतरीन सिस्टम आपके पास है। ज़रूरत है उस पर अमल करने की, मेरी आप सबसे दरख़्वास्त है इस बार अभी से प्लानिंग करें, कोई एक ज़रूरतमन्द की निशानदही करें और उससे मुकम्मल तौर पर बात करें उसको इस बात पर तैयार करें कि वो आइंदा ज़कात नहीं लेगा।
अल्लाह से दुआ है कि अल्लाह हम सबको सही सूझ-बूझ अता फ़रमाए। आमीन।