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तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था

 

आगरा। बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय में शिक्षाशास्त्र एवं समाजशास्त्र विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. एस.पी. वार्ष्णेय एवं डॉ. एकता द्वारा किया गया।


कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. एस.पी. वार्ष्णेय ने महिलाओं की उत्तरोत्तर होने वाली प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नारी की कोख से सभ्यताओं का जन्म होता है। वह सदियों से मौत की गोद में जाकर जिन्दगी को जन्म देती है। नारी मानव के सम्मान की प्रतीक है तथा उन्होंने नारी को इस ब्रह्माण्ड के सौन्दर्य का रहस्य बताया। डॉ. एकता ने छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिये पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फूले व अन्य बहादुर महिलाओं का पात्र बनकर उनके किरदार को निभाने के लिये तैयार किया। इस कार्यक्रम में छात्राओं ने नारी सशक्तिकरण, सावित्री बाई फूले, विनीता सिंह का जीवन संघर्ष, स्वत्रंता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई का योगदान, कतिपय काव्यपाठ, एल.जी.बी.टी.क्यू., पं0 रमाबाई पर आधारित लघुनाटक एवं लिंग संवेदीकरण एवं प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फूले पर छात्राओं द्वारा पावर पांइट प्रेजेन्टेशन किया गया।
डॉ. अमिता शर्मा ने महिलाओं की प्रगति को अपना अधिकार बताते हुए छात्राओं को स्वावलम्बी बनने की प्रेरणा दी।


आई.क्यू.ए.सी. टीम की प्रमुख सदस्या तथा उर्दू विभागाध्यक्षा प्रो. नसरीन बेगम ने अपने व्याख्यान में सदन में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि बढ़ते महिला अपराधों को तभी रोका जा सकता है जब तत्सम्बंधी सजाओं के सम्बंध में शीघ्र निर्णय दिया जाये तथा अभिभावक बेटियों की तरह अपने बेटों को भी बालिकाओं का सम्मान करने के संस्कार प्रदान करें तथा बेटियाँ अपने अधिकारों हेतु आवाज बुलन्द करें।


आई.क्यू.ए.सी. समन्यवय प्रो. अमिता निगम ने महिला आत्मनिर्भरता तथा महिला उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर बल दिया और कहा कि हर महिला स्वयं में खास होती है। आवश्यकता है स्वयं की क्षमता को पहचानने की। कार्यक्रम के अंत में प्रो. एस.पी. वार्ष्णेय ने समस्त शिक्षिकाओं तथा छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा कु. अवनि दुआ एवं कु. लवली अरोरा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में प्रो. गुंजन चतुर्वेदी, प्रो. राधारानी गुप्ता, प्रो. पूनम गुप्ता, डॉ. मीरा, डॉ0 शालिनी रमन, डॉ. ज्योति कुशवाह, कु. प्राची सिंह, प्रो. कंचन गुप्ता, प्रो. पूनम शर्मा, डॉ. कामना धवन, कु. लवी, कु. सपना मिश्रा, डॉ. वन्दना कौशिक, डॉ. विजयलक्ष्मी शर्मा, डॉ. सुनीता आदि की उपस्थित सराहनीय रही।

“तेरे माथे पे यह आँचल बहुत ही खूब है लेकिन,
तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था”