रचनाकार के बहुआयामी व्यक्तित्व का दर्पण है छलका मधु घट: डॉ. आर. एस. तिवारी ‘शिखरेश’
विचार की गूढ़ता के साथ काव्यानंद से सराबोर हैं ये हाइकु : डॉ. त्रिमोहन तरल
तीन पंक्तियों में किसी भी विषय वस्तु को समेटने की कठिन विधा में पारंगत हैं रचनाकार: डॉ. अशोक विज
आगरा। आगरा राइटर्स एसोसिएशन के बैनर तले ताजनगरी के गणमान्य कवि एवं साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में रविवार को यूथ हॉस्टल में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती साधना वैद के हाइकु संग्रह, ‘छलका मधु घट’ का विमोचन संपन्न हुआ।
वरिष्ठ साहित्यकार रमेश पंडित और डॉ. रमा रश्मि ने विमोचित कृति की समीक्षा करते हुए रचनाकार की मुक्त कंठ से सराहना की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आर एस तिवारी ‘शिखरेश’ ने कहा कि छलका मधु घट अपने शीर्षक को सार्थक करता हुआ मूलतः रचनाकार के बहुआयामी व्यक्तित्व का वह दर्पण है जिसमें उसकी संचेतना, संकल्पना, चिंतन एवं मनो- दार्शनिक मंथन प्रतिबिंबित है।
17 वर्णों में रचना चुनौती
डॉ. आर एस तिवारी ‘शिखरेश’ ने कहा कि मात्र 17 वर्णों में हाइकु की रचना अपने आप में एक चुनौती है। इस चुनौती को स्वीकार कर साधना जी ने सुंदर बिंबों, रूपकों एवं मानवीकरण के साथ भावपूर्ण कथ्य को जिस तरह बांधा है, वह सराहनीय है। एक बानगी देखें- ‘हल्की सी ठेस/ तोड़ जाती पल में/ काँच से रिश्ते..’
विचार की गूढ़ता के साथ काव्यानंद
मुख्य अतिथि डॉ. त्रिमोहन तरल ने कहा कि साधना वैद के हाइकु पाठक को अल्प समय में विचार की गूढ़ता और सघनता से परिचित कराते हुए काव्य का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं।
तीन पंक्तियों की कठिन विधा में पारंगत
विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोक विज ने कहा कि हाइकु की तीन पंक्तियों में किसी भी विषय वस्तु को समेटना इसे एक कठिन विधा बनाता है जिसमें साधना जी ने स्वयं को पारंगत किया है।
रचनाधर्मिता है सराहनीय
विशिष्ट अतिथि एवं आगरा पब्लिक स्कूल के चेयरमैन महेश शर्मा ने भी साधना वैद की रचना धर्मिता की मुक्त कंठ से सराहना की।
अनुभूतियों के चरम क्षण की प्रतिध्वनि
समारोह के सूत्रधार और आगरा रायटर्स एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अनिल उपाध्याय ने कहा कि साधना वैद का हाइकु संग्रह मानवीय अनुभूतियों के चरम क्षण की प्रतिध्वनि है।
गागर में सागर है हाइकु
विमोचित कृति की रचनाकार श्रीमती साधना वैद ने इस अवसर पर कहा कि हाइकु काव्य केवल कुछ अक्षरों या शब्दों का समूह नहीं है। जैसे छोटे-छोटे नारे या दोहे संक्षेप में बहुत गहरी बात कह जाते हैं। ऐसे ही, हाइकु भी अपनी लघुता की विशिष्टता के साथ किसी भी सार्थक संदेश को जन-जन तक पहुँचाने लिए एक सशक्त माध्यम है। हाइकु गागर में सागर के समान है।
ये भी रहे सहभागी
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिल उपाध्याय ने किया। संगीता अग्रवाल ने शारदे वंदना प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार वैद, सचिव शब्द स्वरूप वैद, स्वागत समिति के सचिव सरन वैद व रश्मि वैद के साथ भरत दीप माथुर, अलका अग्रवाल, नवीन वशिष्ठ और निखिल प्रकाशन के मोहन मुरारी शर्मा ने किया। डॉ. शशि गुप्ता, डॉ. सुषमा सिंह, राजकुमारी चौहान, रमा वर्मा, डॉ. नीलम भटनागर, रीता शर्मा और सुरेंद्र वर्मा ‘सजग’ ने भी विचार व्यक्त किए।