नई दिल्ली। भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के लिये प्रत्यक्षों करों का संकलन करना बहुत महत्त्वपूर्ण दायित्व है, जिसके लिये अत्यंत दक्षता और पारदर्शिता की जरूरत होती है। सरकार इन करों को विकास परियोजनाओं में खर्च करती है और नागरिकों का कल्याण सुनिश्चित करती है। सरकार के लिये संसाधन जमा करने में आईआरएस अधिकारियों की अहम भूमिका होती है और इस तरह वह आधार तैयार होता है, जिस पर शासन के अन्य ढांचों का निर्माण होता है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को सलाह दी कि करदाता न केवल राजस्व के स्रोत हैं, बल्कि वे राष्ट्र-निर्माण में हमारे साझीदार भी हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे ऐसा माहौल तैयार करें, जो कर संकलन तथा करदाताओं, दोनों के लिये सहायक व मित्रवत हो।
सहायक कार्यकारी अभियंताओं को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि सीपीडब्लूडी सार्वजनिक इमारतों, सरकारी कार्यालयों और आवास के निर्माण व रखरखाव के लिये जिम्मेदार है। जो लोग प्रशासन और शासन चलाते हैं उनके कारगर कामकाज के लिये भी जो अन्य परियोजनायें बुनियादी हैसियत रखती हैं, उनका दायित्व भी सीपीडब्लूडी पर है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की तेज प्रगति के कारण सड़कों, राजमार्गों, हवाई अड्डों जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं तथा अस्पतालों, शिक्षा संस्थानों और सरकारी दफ्तरों जैसी जन संस्थाओं की मांग में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि सीपीडब्लूडी अधिकारियों व सहायक कार्यकारी अभियंताओं का लक्ष्य होना चाहिये कि वे ऐसी सुविधाओं का निर्माण करें, जो न केवल वर्तमान की जरूरतों को पूरा करें, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिये भी सतत भविष्य सुनिश्चित करें। राष्ट्रपति ने उनसे आग्रह किया कि वे परियोजनाओं को अधिक ऊर्जा-दक्ष, सतत और वातावरण-अनुकल बनाने के लिये अभिनव तरीकों की पड़ताल करें।