आगरा। उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पोषित एवं वनस्पति विज्ञान विभाग, सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा के तत्वाधान में एक राष्ट्रीय कार्यशाला “बागवानी चलन और इसकी उद्यमशीलता में हालिया रुझान” का आयोजन किया गया | आज कार्यशाला का दूसरा दिवस था |
इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर अजय तनेजा (प्रति कुलपति डॉ बी आर आंबेडकर यूनिवर्सिटी) आगरा तथा प्रोफेसर अनुराग शुक्ला (प्राचार्य आगरा कॉलेज आगरा) और प्रोफेसर यशोधरा शर्मा (प्राचार्य गवर्नमेंट पीजी कॉलेज आंवलखेड़ा) को सम्मानित अतिथियों के रूप में आमंत्रित किया गया |कार्यशाला का शुभारंभ सभी अतिथि आगन्तुको द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला समन्वयक प्रोफ़ेसर सैमुअल गोर्डन सिंह ने सभी सुसम्मानित अतिथियों का परिचय किया ।
प्राचार्य एवं संरक्षक प्रोफ़ेसर एस पी सिंह ने सम्मानित अतिथियों को स्मृति चिन्ह, पुष्पगुच्छ एवं शाॅल भेंट स्वागत किया।
इस कार्यशाला के लिए डॉ सुमिता डोडिया (डीन विज्ञान संकाय )आर्यन इंस्टीट्यूट आगरा, जो कि फेरी गार्डन ( ऐल्फ गार्डेनिया और बोनसाई कैफिटेरिया ) की मालकिन है इन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में मिनिएचर गार्डन की मुख्य प्रवक्ता के रूप में भाग लिया है डाॅ डोडिया (एमएसएमई पीपीडीसी) में विशेषज्ञों के पैनल में भी शामिल रही हैं। डाॅ डोडिया को प्रधानमंत्री जन कल्याण योजना और आगरा रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है, श्री अंकित चौहान (विभागाध्यक्ष – उद्यान विभाग, एस.बी.एस कॉलेज) आगरा | श्री चौहान एल्फ गार्डेनिया के सबसे अच्छे छात्रों में से एक रहे हैं और वह अपना फार्म बालाजी गार्डन डेवलपर चला रहे हैं। , डॉ अनुराधा चौहान( उद्यमी और संस्थापक एन.जी.ओ- पारिजात) तथा श्रीमती अनुराधा चौहान जी (वाणी ग्रीन बुटीक) की संस्थापक भी हैं जिसके माध्यम से वह कोकोडामा की जापानी कला का प्रचार कर रही हैं, को आमंत्रित किया गया |
डाॅ सुमिता डोडिया ने बताया कि एक पौधे को बोनसाई के रूप में विकसित करने में लगभग 2 साल का समय लगता है साथ ही बोनसाई को लगाने के लिए प्लेट के आकार के गमले मिलते हैं इनमें इन्हें रिपोट करके लगाया जाता है लेकिन बोनसाई को हमेशा ऐसे मौसम में रिपोट करना चाहिए जहां हवा में नमी हो | इसलिए बारिश शुरू होने से पहले का मौसम इसके लिए उपयुक्त होता है बात अगर बोनसाई के लिए पाॅटिग मिक्स की करें तो डोडिया बताती हैं कि मैं सिर्फ तीन चीजें लेती हूं ईट के छोटे-छोटे टुकड़े ,गोबर के उपलों के टुकड़े और चिकनी मिट्टी इन तीनों को मिलाकर तीन तरह का मिक्स तैयार करते हैं पहले टुकड़ों को तोड़कर चने के आकार के जितना किया जाता है इसी तरह चिकनी मिट्टी के भी छोटे छोटे कंकड तैयार करतें हैं वह कहती है कि ईट के टुकड़े लंबे समय तक नमी बनाए रखते हैं उपलौ से पौधों को पोषण मिलता है और चिकनी मिट्टी पौधों को हिलने नहीं देती है इसके अलावा बोनसाई के पौधे को समय पर पानी देना चाहिए ताकि ये सूखे नहीं अगर कोई बोनसाई बनाना सीखना चाहता है तो उन्हें अपना समय और ध्यान इस तकनीक को देना होगा इसके लिए आपको बहुत से एक्सपेरिमेंट करने पड़ते हैं इसलिए अगर आप सीखना चाहते हो तो पूरी दिल से मेहनत करें और अंत में कहा कि यकीनन बोनसाई के प्रति आपका प्रेम काबिले तारीफ है और हमें उम्मीद है कि बहुत से लोगों को इससे प्रेरणा अवश्य मिलेगी
डाॅ अनुराधा चौहान ने बताया छात्र-छात्राएं अपने जीवन में बागवानी की तकनीकों को अपनाकर अपने आसपास के वातावरण को और सुंदर बना सकते हैं तथा बागवानी के तौर-तरीकों को सीखकर वित्तीय मामलों में आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं डाॅ चौहान ने बताया कि मनुष्य का पौधों के प्रति प्रेम सदियों पुराना था |
श्री अंकित चौहान ने अडेनियम और कैक्टस के बारे में बताया, यह दोनों मरुस्थलीय पौधे हैं ,अडेनियम सुंदर फूल वाला पौधा है जो हाल के वर्षों में काफी लोकप्रिय हुआ है | यह पौधा मूल रूप से रेगिस्तानी इलाकों में होता है और इसमें खिलने वाले फूल गुलाबी और सफेद कलर दिखते हैं | इस वजह से अडेनियम के पौधों को रेगिस्तान का गुलाब भी कहा जाता है श्री चौहान ने बताया कि अडेनियम के पौधे को उगाने के लिए अधिक चौड़ाई वाले गमले की जरुरत पड़ती है अडेनियम के बीजों को आप 6 × 6 इंच के ग्रौ बैग में या सीडलिंग ट्रे में अंकुरित कर सकते हैं और बाद में पौधे को बड़े ग्रो बैग में ट्रांसफर कर सकते हैं
राष्ट्रीय कार्यशाला का संचालन आयोजक समिति में डॉक्टर रोहन जॉन डिसूजा ने किया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद प्रस्ताव डॉक्टर साक्षी वॉकर ने देकर किया | कार्यशाला में सह-आयोजक प्रोफ़ेसर मंजुला आर थॉमस एवं प्रोफेसर मनोज एस पॉल तथा आयोजक समिति में डॉ शालिनी सक्सेना उपस्थित रहीं, कार्यक्रम मैं रिपोटियर की भूमिका वंदना फौजदार, शैलेश चाहर ,अश्वनी यादव, अर्चिता सिंह, देवांशी शर्मा और कृति गौतम ने अदा की |कार्यक्रम की पंजीकरण समिति के अध्यक्ष हर्षित यादव की भूमिका सराहनीय रही तथा कार्यक्रम के डेकोरेशन समिति के अध्यक्ष अभयजीत सिंह एवं भोजन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल ने अपनी भूमिका निभाई |
इस कार्यशाला में देश भर एवं विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 200 प्रतिनिधियों, शिक्षकों, शोधछात्रों, छात्र- छात्राऔं ने भाग लेकर ज्ञान प्राप्त किया।