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राम कृपा बिन सुलभ न सोए….

पूरी रामायण है नारी का सम्मान

आगरा। सत्संग कब शुरू होता है जब भगवान राम की कृपा होती है आगरा के हम बहुत कृतज्ञ हैं कि यहां प्रेम निधि महाराज का जन्म हुआ। ते प्रेम निधि महाराज के ठाकुर श्याम बिहारी मंदिर की पूजा हम नहीं वहां की गोसाई ही करेंगे।

महाराज जी ने कहा कि अपनी पत्नी के अलावा किसी महिला को ना देखें यही असली ग्रस्त है यही अपने चरित्र की व्याख्या है।

भगवान राम सीता जी को सजा रहे हैं पत्नी के सहारे आदिशक्ति की पूजा कर रहे हैं सीता जी के चरण का रक्त जयंत को मारने चला राम जी ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर जयंत को मार दिया पूरी रामायण नारी का सम्मान है हिंदुओं के यहां बेटी को देवी कहा जाता है पत्नी का जितना सम्मान रामजी ने किया है उतना कन्हैया जी ने भी नहीं किया द्वारका चले गए तो गोपियों की सुरक्षा की व्यवस्था क्या कर गए राम जी ने 16 संतों का सत्संग किया 16 लोगों को प्रभावित किया।

रामजी ने संतों से तीन बातें पूछी मार्ग, मंदिर और मंत्र। रामकथा प्यारी है विश्व में ऐसी कोई कथा कि नहीं भारतीय नारी में चरित्र होता है लव जिहाद के नाम पर हमारी हिंदू लड़कियों को विधर्मी लोग फसा रहे है। आज के समय में युवतियों को हाथ में कड़े के साथ कटार लेने का भी अभ्यास करना होगा । बन जाओ लक्ष्मी बाई। यह मैं आगरा की नारी नहीं पूरी दुनिया की नारी से कह रहा हूं।

भागवत मरने की कला सिखाती है और राम कथा जीने की कला सिखाती है।

भारत को अगर सुरक्षित करना है तो रामचरितमानस को राष्ट्र ग्रंथ बनाना होगा जातिवाद देश में कुर्सी के भेड़िए नेताओं ने फैलाया है आप आरक्षण खत्म करो मैं जिसके यहां कहो उसके यहां खाने जाऊंगा शबरी माता के जूठे बेर राम जी ने खाए थे हमारे यहां कोई नीच नहीं है शुद्ध नीच नहीं होता शुद्र जिस पर भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं वह शूद्र है हिंदू धर्म जैसा कोई उधार धर्म नहीं हो सकता।

मरा का उल्टा राम है राम जी के साथ जो चलता है वह मरता नहीं तर जाता है वेदों में सबसे पहला पुरोहित अग्नि है।

रावण भीख मांगने आया और सीता ने सोचा कि भीख नहीं दूंगी तो रघुकुल का अपमान होगा भले ही मेरा हरण हो जाए मैं भी जरूर दूंगी रावण ने सीता का हरण कर लिया जटायु ने देखा जटायु ने रावण से युद्ध किया पर वह सीता हरण करने से नहीं बचा पाए। वहीं दूसरी ओर सीता जी के हरण के बाद राम जी ने लक्ष्मण को एक बात नहीं बोला जबकि लक्ष्मण के कारण सीता जी का हरण हो गया यही राम जी का विवेक है इसलिए लक्ष्मण जी का जीवन राम जी पर समर्पित है।

जब जटायु की प्राण जा रहे थे तो भगवान राम ने जटायु को अपनी गोद में लिया रामजी ने जटायु की जटा को अपनी जटा से झाड़ा । जी की जटा में जिसकी आयु छुपी हो वह जटायु है। तब जटायु ने कहा आप की पिता की मृत्यु पुत्र वियोग में हुई और मेरी मृत्यु पुत्रवधू के वियोग में हो रही है। नेताजी की रक्षा नहीं कर पाया राम जी ने जटायु को मुखाग्नि दी।

कथा में राम जी सबरी को अपनी मां बना रहे हैं। राम जी बोले जब मां बना लिया तो मां का झूठा नहीं खाता क्या। आकाश से देवता फूलों की बरसात करने लगे जिसे आजकल नेता कलयुग ने अनुसूचित जाति कहते हैं।

ये रहे यजमान
मुख्य यजमान धन कुमार जैन, शालिनी जैन रहे। दैनिक यजमान लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल, हिमेंद्र अग्रवाल, सूरज बंसल, पराग जैन, नरेंद्र बंसल, छोटे लाल बंसल, मुकेश गोयल, वीरेंद्र अग्रवाल, विमल गुप्ता और सतीश अग्रवाल रहे। वही प्रसादी को व्यवस्था सुनील मित्तल की रही।

ये रहे मौजूद
मुख्य आयोजक प्रो. रामशंकर कठेरिया, डा. मृदुला कठेरिया, मीडिया प्रभारी विमल कुमार, सुरेंद्र सिंह, हरिनारायण चतुर्वेदी, आलोक जैन, पियूष सिंघल, केशव अग्रवाल, गौरव बंसल, अजय गर्ग, दिनेश अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

नही होगी कन्हैया मित्तल की भजन संध्या
मीडिया प्रभारी विमल कुमार ने बताया कि आयोजन समिति द्वारा 12 अप्रैल को आयोजित होने जा रही कन्हैया मित्तल की खाटू भजन संध्या को आचार संहिता लगने के कारण स्थगित कर दिया है। रामकथा का भंडारा अब 12 अप्रैल को कथा स्थल पर आयोजित किया जाएगा।

कथा स्थल पर सर्वाधिक भीड़ हुई दर्ज
कथा के आठवें दिन पंडाल में अब तक की सबसे अधिक भीड़ दर्ज हुई। आयोजन समिति की ओर से श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पंडाल के स्थान को बढ़ावा गया। कथा में अनुमानित तीस हजार लोगो की भी कथा श्रवण करने पहुंची।

लाइव देख रहे लाखो लोग
श्रीराम कथा का सीधा प्रसारण स्थानीय टीवी चैनलों और यूट्यूब पर भी किया जा रहा है। जिसमे महाराज जी के स्वयं के यूट्यूब चैनल जगद्गुरु रामभद्राचार्य, संस्कृति टीवी, मून टीवी, सी टीवी, भजन गंगा और धर्म टीवी पर लाखो लोग दुनियाभर में लाइव देख रहे है।

श्रीराम कथा में आज
मंगलवार को कथा में राम राज्याभिषेक की कथा का श्रवण कराया जायेगा। उसे पूर्व खंदारी पर दीक्षा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अंतिम दिन दीक्षा ली जाएगी।