कानपुर। ईद उल फ़ितर की नमाज़ सड़क पर अदा करने पर कानपुर के तीन थानों ने 1700 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई है।
पुलिस का आरोप है कि रोक के बावजूद 22 अप्रैल को जाजमऊ, बाबूपुरवा और बेनाझाबर ईदगाह के बाहर सड़क पर नमाज़ पढ़ी गई। चौकी इंचार्ज ने जाजमऊ में 200 से 300, बाबूपुरवा में 40 से 50, बजरिया में 1500 नमाजियों के खिलाफ शिकायत दी गई। इनमें ईदगाह कमेटी के सदस्य भी शामिल हैं।
बेगमपुरवा चौकी प्रभारी बृजेश कुमार ने बताया- ईद से पहले पीस कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें इलाके के लोगों को बताया गया था कि सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ी जाएगी। ईद की नमाज सिर्फ ईदगाह और मस्जिद के अंदर ही पढ़ी जाएगी।
यह भी बताया गया था कि अगर भीड़ होने के कारण किसी नामजी की नमाज़ छूट जाती है, तो उसकी नमाज़ दोबारा पढ़वाने का इंतजाम पुलिस की ओर से किया जाएगा। 22 अप्रैल को ईद के दिन सुबह 8 बजे ईदगाह में नमाज शुरू होने से ठीक पहले अचानक हजारों की भीड़ ईदगाह के सामने सड़क पर जमा हो गई। रोक के बाद सभी ने सड़क पर चटाई बिछाकर नमाज़ शुरू कर दी। उन्हें रोकने का प्रयास किया गया, इसके बाद भी पुलिस की बात नहीं मानी।
इस दौरान जिले में धारा-144 भी लागू थी। इसके चलते चौकी प्रभारी की शिकायत पर पुलिस ने ईदगाह कमेटी के सदस्यों और वहां नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। CCTV फुटेज से सड़क पर नमाज पढ़ने वालों की पहचान की जा रही है।
बाबूपुरवा पुलिस ने नमाजियों के खिलाफ धारा-186 (सरकारी काम में बाधा डालना, धारा-188 (धारा-144 का उल्लंघन कर भीड़ जुटाना), धारा-283 (भीड़ जुटाकर रास्ता रोकना), धारा – 341 (सदोष अवरोध) और लोक सेवा में बाधा डालना और धारा- 353 के तहत रिपोर्ट दर्ज की है।
मरकजी ईदगाह बेनाझाबर में भी रोक के बावजूद सड़क पर नमाज पढ़ने पर ईदगाह कमेटी और उनके सदस्यों समेत 1500 लोगों के खिलाफ बजरिया थाने में FIR दर्ज हुई। इसमें कहा गया- पुलिसकर्मियों के मना करने के बाद भी लोगों ने सड़क पर बैठकर नमाज पढ़ी, जिससे ट्रैफिक रुक गया और जाम लगने लगा।
एफ़ आई आर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य ने नाराजगी जताई है। बोर्ड के सदस्य मो. सुलेमान ने कहा, ”एक संप्रदाय विशेष को टारगेट किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि किसी एक धर्म का राष्ट्र हो गया है।
मस्जिद और ईदगाहों में कैंपस के अंदर ही नमाज हुई है। बाबूपुरवा में इतनी बड़ी ईदगाह नहीं है। 10 मिनट के लिए अगर जगह नहीं मिलती है, तो नमाजी सड़क पर नमाज पढ़ लेते हैं। बाबूपुरवा में भी इसी तरह सड़क पर नमाज हुई, लेकिन बाबूपुरवा के दरोगा ने FIR दर्ज करा दी।
बदकिस्मती यह है कि मुकदमा सड़क पर नमाज पढ़ने का नहीं हुआ है, बल्कि लोकसेवा में बाधा डालना, जो गंभीर अपराध है। दूसरी महामारी अधिनियम की धारा लगाई है। यह हमारी हुकूमत का माइंडसेट है, जिस पर इस तरह के उत्साहित पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। यह निंदनीय है, समाज के लिए ठीक नहीं है।”
मो. सुलेमान ने कहा- हमारा समाज संविधान से चलता है। संविधान का आर्टिकल-19 सभी समुदायों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक चीजों का संरक्षण करता है। लेकिन, यह सरकार तो संविधान से चल ही नहीं रही है। योगी की सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है।
उन्होंने कहा- सरकार ऐसे-ऐसे काम कर रही है कि पुलिस कस्टडी में लोग मार दिए जा रहे हैं। पुलिस वाले देखते रहे। मारने वालों पर गोली नहीं चलाई, ये सब हो रहा है। फर्रुखाबाद में प्लेटफॉर्म पर लोगों ने नमाज पढ़ ली, तो कहां अशांति फैल गई? जनता ने कुछ नहीं किया, पुलिस वालों ने किया। मुरादाबाद में छत पर तरावीह पढ़ ली, तो FIR दर्ज हो गई।
साभार – दैनिक भास्कर