नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद ये प्रश्न जनता के बीच है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी किसको मिलेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत की सबसे पुरानी पार्टी हाल के चुनावों में शीर्ष फॉर्म में नहीं रही, लेकिन कर्नाटक में मिली जीत का एक कारण स्थानीय नेतृत्व और मुद्दों पर फोकस रहना रहा है। राहुल गांधी जैसी राष्ट्रीय शख्सियतों के बजाय, राज्य के दो दिग्गज नेता कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख डीके शिवकुमार बड़े पैमाने पर अभियान का चेहरा बने रहे। इसका मतलब यह भी है कि पार्टी द्वारा कभी भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं किया गया था। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेताओं के एक साथ भाग लेने से आपसी कलह या प्रतिद्वंद्विता जैसी खबर को बढ़ावा नहीं मिल सका। अब बारी है राज्य के शीर्ष नेतृत्व को संभालने की और सीएम की रेस में दो प्रमुख नेताओं का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। दोनों नेताओं को पार्टी ने दिल्ली बुलाया है। इससे पहले बीते दिन बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पास कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्किार्जुन खरगे पर सीएम चेहरे का चयन करने का फैसला छोड़ दिया गया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संकेत दिया है कि एक ऐसा सेटअप हो सकता है जहां प्रत्येक नेता पांच साल के कार्यकाल में से प्रत्येक ढाई साल के लिए सत्ता संभाल सकते हैं। इसके साथ ही ऐसी भी खबर है कि पहले दो वर्षं के लिए सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं, वहीं इस दौरान डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री रहेंगे। इसके बाद डीके शिवकुमार को सीएम पद सौंपा जा सकता है।