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सिविल एंकलावे आगरा को डीपीआर के तहत सुप्रीम कोर्ट से भी क्‍लीयरेंस, नई डीपीआर फिजूल खर्ची, जबकि अनिवार्य औपचारिकता हैं पूरी जानिए

आगरा। हम नहीं जानते कि आगरा के जनप्रतिनिधि सिविल एयरपोर्ट (सिविल एन्‍कलेव) को वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने को लिए अपने अधिकार और आगरा की जनता से किये सरोकार के प्रति गंभीर क्‍यों नहीं हैं। जबकि आगरा का वायुसेना परिसर देश के उन एयरपोर्टों में से एक है,जिसमें एयर फोर्स अति महत्‍वपूर्ण फार्मेशनों मुख्यालय हैं।

यात्रियों को भारी असुविधा

आगरा से उड़ान भरने वाले और हवाई जहाज से आगरा आने वाले हवाई यात्रियों को सिविल एन्‍कलेव तक पहुंचने के लिये बेहद अप्रिय स्थितियों का सामना करना पडता है,जिनके लिये हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में कोई भी गुंजाइश नहीं है। वायुसेना परिसर में सिविल एन्‍कलेव की मौजूदगी भर इसकी वजह है।

बाउंड्री वाल बन चुकी है

वायुसेना परिसर में नये सिविल एन्‍कलेव को बनाये जाने के लिए उप्र शासन के द्वारा 40+ हेक्टेयर/एकड़ जमीन अधिग्रहित कर एयरपोर्ट अथॉरिटी के धन से और तकनीकी निर्देशन में बाउंड्री वाल बनवायी जा चुकी है।

अनिवार्य औपचारिकता के तहत डीपीआर के तहत सुप्रीम कोर्ट से भी क्‍लीयरेंस

ताजमहल की सुरक्षा के लिये गठित ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी के द्वारा इसे शिफटिंग की अनुमति मिल चुकी है। टीटीजेड के तहत प्रोजेक्टों की क्‍लीयरेंस के लिये अनिवार्य औपचारिकता के तहत प्रस्तुत डीपीआर के तहत सुप्रीम कोर्ट से भी क्‍लीयरेंस मिल चुकी है। इसके बावजूद सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के तहत कार्यरत सिविल एविएशन अथॉरिटी ने सिविल एन्‍कलेव को शिफ्टिंग का कार्य शुरू नहीं किया।

नई डीपीआर क्यों?
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा शिफ्टिंग की जरूरत को दृष्टिगत धनौली बल्‍हेरा और अभयपुरा गांव में अधिग्रहित और चारदीवारी कराई जा चुकी जमीन पर सिविल एन्‍कलेव प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने की अपेक्षा कर रहे तो एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा नयी डी पी आर बनवाये की जानकारी जन सूचना माध्यमों से दी जार ही है ।
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा जो कि सिविल एन्‍कलेव को वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने के लिये लम्बे समय से लिखा पढ़ी और संबधितों से मुलाकते करती रही है,एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा नये सिरे से डीपीआर बनवाये जाने को गलत और योजना को लंवित बनाये रखने का उद्देश्य मात्र मानती है।


सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृत डीपीआर अगर दो तीन साल पुरानी भी है तो उसे रिवाइज्‍ड करके काम चलाया जा सकता है। एविएशन मिनिस्ट्री या एयरपोर्ट अथॉरिटी के नियमों /निर्देशों में कहीं भी कोई ऐसी एसओपी नहीं ढूंढी जा सकी है जिसमें किसी लंबित प्रोजेक्ट की दोबारा से डीपीआर बनवाने की अनिवार्यता हो।

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के एक चप्पल पहनने वाला आम आदमी भी हवाई यात्रा करे-आगरा का क्या?

एएआई , प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के एक चप्पल पहनने वाला आम आदमी भी हवाई यात्रा करे, को धता बता पलीता लगा रही है। सुप्रीम कोर्ट से सभी परमिशन मिलने के बाद भी, अटकी हुई डीपीआर को संशोधित कर , री टेंडरिंग नहीं कर रही। करीब 5 महीने हो चुके हैं, माननीय सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुनाये हुए। यह अवमानना के साथ साथ पूरे आगरा शहर के साथ छल और कपट है। सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने नागरिक उड्डयन मंत्री और चेयरमैन एएआई को पत्र लिख कर वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए टेंडर फ्लोट करने की मांग की है।

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा की अपील

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के अध्यक्ष डॉ शिरोमणि सिंह, सेक्रेटरी अनिल शर्मा,राजीव सक्‍सेना और असलम सलीमी उ प्र शासन तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मांग करते है कि आगरा के आर्थिक हितों और जनता से संग्रहित राजस्‍व के हित में नई डीपीआर बनवाने के स्थान पर स्वीकृत डी पी आर आधारित प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू करवाया जाये।जहां भी जरूरी हो एस्‍टीमेटों को रिवाइज्‍ड करवा लिया जाये।