व्यक्ति नहीं एक युग थे राजेंद्र रघुवंशी
आगरा। नाटृय पितामह राजेंद्र रघुवंशी व्यक्ति नहीं बल्कि एक युग थे। उन्होंने देश को सैकड़ों रंगकर्मी दिए, जो आज विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं। यह विचार उन वक्ताओं के थे, जो रविवार को राजेंद्र रघुवंशी शताब्दी वर्ष समारोह के समापन कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम में देश के साहित्यिक, सांस्कृतिक व रंगमंच क्षेत्र से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे।गोवर्धन होटल में आयोजित प्रथम सत्र में इप्टा इतिहास की प्रतिध्वनियां और भविष्य का रंगमंच विषयक संगोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो रामवीर सिंह ने राजेन्द्र रघुवंशी की जिजीविषा को याद किया।
मुख्य वक्ता भारतीय जन नाट्य संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश ने उनके व्यक्तित्व को याद किया। इप्टा के राष्ट्रीय शैलेन्द्र ने कहा कि हमारे पुरखे कहीं नहीं जाते, हमें जब आवश्यकता होती है वे मशाल के रूप हमारे साथ होते हैं। प्रो शंभु गुप्त (अलवर) ने कहा कि इतिहास की प्रतिध्वनियां हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती हैं। संचालन डॉ. सर्वेश जैन ने किया। संगोष्ठी के दूसरे सत्र में
राजेन्द्र रघुवंशी की सृजनशीलता और उनकी यादें विषयक पर मुख्य अतिथि व विख्यात फिल्म अभिनेता अंजन श्रीवास्तव ने बताया कि इप्टा की विचारधारा ने किस प्रकार मुझे प्रभावित किया।
राजेन्द्र रघुवंशी उस समय के जुझारू कलाकार और संगठन कर्ता हैं। वे मेरा नाम लेते थे और मैं अचंभित रह जाता था।
डा श्रीभगवान शर्मा ने कहा कि ये समारोह सही मायने में उनकी गरिमा के अनुरूप में श्राद्ध कर्म है , जिसमें इतने विद्वान भाग ले रहे हैं। डा शशि तिवारी ने राजेन्द्र रघुवंशी की कविताओं की विशिष्टताओं को रेखांकित किया। समाजसेवी अरुण डंग ने रघुवंशी जी के साथ गुजरे वक्त को याद करते हुए पाकिस्तान से आए अपने दिनों को याद करते विचार रखे।
शिवपुरी से आए जहीर खान ने राजेन्द्र रघुवंशी पर लिखे अपने लेख के प्रमुख अंशों को प्रस्तुत किया। अवदान को याद किया गया। दिल्ली से आए मधुर अथैया ने कहा कि रघुवंशी जी की सृजनशीलता सामाजिक बदलाव के लिए थी। पूरन सिंह ने कहा कि राजेन्द्र रघुवंशी युवाओं को प्रेरित करने वाले थे। अध्यक्षता कर रहीं प्रोफेसर कमलेश नागर ने कहा कि यहां उपस्थित जन सभी राजेन्द्र रघुवंशी के वृहद् परिवार के सदस्य हैं। संचालन हरीश चिमटी व आभार ज्योत्स्ना रघुवंशी ने दिया।
सूरसदन में आयोजित समापन समारोह के दूसरे सत्र में संचालन करते हुए दिलीप रघुवंशी ने उनके जीवन कृतित्व पर प्रकाश डाला। संगीत कला केंद्र ने समूह गीत प्रस्तुत किया। रुद्रा रघुवंशी, जय कुमार ने कविता पाठ किया। डॉक्यूमेंट्री नाटक नहीं रुकेगा, लकी गुप्ता अभिनीत एकल नाटक मां मुझे टैगोर बना दे की भावपूर्ण प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। राजेंद्र रघुवंशी के जीवन पर आधारित स्मृति ग्रंथ सांस्कृतिक योद्धा की अभिनव यात्रा का भी विमोचन हुआ। सांस्कृतिक कर्मी परमानंद शर्मा, भगवान स्वरूप योगेंद्र, असलम खान, सुनीता धाकड़, संजय सिंह, अर्चना सारस्वत, अलका धाकड़ आदि ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं।