सूरसदन प्रेक्षागृह में नृत्य ज्योति कथक केंद्र ने आयोजित किया 14 वां कथक महोत्सव
लगातार दो घंटे तक कथक के बोल पर थिरके बच्चे, महिलाओं ने भी दी प्रस्तुति
आगरा। बॉलीवुड और पाश्चत्य शैली के दौर में पूर्णतः शास्त्रीय नृत्य कथक के नाम रही बीती शाम। जब पांच से 50 वर्ष तक के कलाकाराें ने मंच पर कथक की विविध शैलियों की प्रस्तुतियां दीं तो जैसे हर कोई एकटक बस निहारता ही रहा। तालियों की गड़गड़ाहट, घुंघरुओं की थिरकन और कथक के बोलों की पंढ़त, कुछ इस तरह से जुगलबंदी हुई कि जो जहां बैठा था वो वहीं मंत्रमुग्ध होने लगा।
दरअसल 22 मई 2023, दिन सोमवार को सूरसदन प्रेक्षागृह में नृत्य ज्योति कथक केंद्र द्वारा 14 वें कथक महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव की इस वर्ष की थीम शिव से शिवत्व की ओर रही।
कार्यक्रम का आरंभ विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, डॉ सीपी राय, बीके अश्विना, डॉक्टर लवली शर्मा, कुलसचिव केंद्रीय हिंदी संस्थान प्रो चंद्रकांत त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार ब्रज खंडेलवाल, अरविंद सिंह, अरुण सिंह, डॉ वंदना अग्रवाल प्राचार्य बीडी जैन डिग्री कॉलेज ने दीप प्रवज्ज्वलित कर किया। इसके बाद आर्ना, आव्या, सान्वी, अद्विता, इनारा और अक्षयणी जय शिव शंकर जय गंगाधर बोल पर शिव वंदना की प्रस्तुति दी। शुभि कुमारी, आकांक्षा, गर्विता, अंशी, नव्या, अन्वी, नव्या और आरती द्वारा जब श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों पर भाव नृत्य मंचित किया गया तो मानो कुरुक्षेत्र का सजीव दृश्य ही जाग्रत हो उठा। पारंपरिक कथक नृत्य के विभिन्न चरण जैसे ततकार, तोड़े आदि पर छोटे से लेकर युवा कलाकारों ने प्रस्तुति दी। जिसमें अमीषी, रिद्धी, मेहुल प्रमुख रहे। कथक की लाइव प्रस्तुति में पंढ़त ज्योति खंडेलवाल, तबला पर भानु प्रताप सिंह, हारमोनियम पर महेंद्र प्रताप सिंह ने संगत दी।
छम छम बाजे रे बाजे पायलिया, कान्हा ने बजाई मीठी बांसुरिया…पर ब्रज लोकनृत्य दर्शना, तियाना, पावनी, अनन्या, शिवान्या, अंतरा, अक्षधा, वाणी ने प्रस्तुत किया। सच्चिदानंद नंद हरी ओम…एकाकार परम भक्ति वंदना पर सभी कलाकारों की सामूहिक प्रस्तुति हुयी। लेखिका डां रंजना सक्सेना और ज्योति खंडेलवाल की पुस्तक “संगीत साधना” का विमोचन भी हुआ। कत्थक महोत्सव का संचालन श्रुति सिन्हा ने किया।
पहली बार मंच पर उतरीं महिलाएं
कथक महोत्सव की इस बार की विशेषता रही कि दस महिलाओं ने मंच पर पहली बार नृत्य प्रस्तुति दी। नृत्य ज्योति कथक केंद्र की निदेशक ज्योति खंडेलवाल के साथ डॉ संजना माहेश्वरी, डॉ सुगंधा रावत, डॉ योगिता शर्मा, डा सपना दास, चारु पांडे, रचना वर्मा, रिमझिम सचदेवा, अमनप्रीत कौर, ममता सिंह और प्रतिमा सिंह ने फेरो ना नजर से नजरिया….गीत पर नृत्य किया। आत्मविश्वास से परिपूर्ण नृत्य प्रस्तुति सशक्तिकरण की एक मिसाल कायम कर रही थी।
ये रहे उपस्थित
हरविजय बाहिया, वत्सला प्रभाकर, डॉ नीलू शर्मा, डॉ रेखा कक्कड़, एकता जैन, अनिल जैन, डॉ अमिता त्रिपाठी, विवेक खंडेलवाल, वीरेन मित्तल, डॉ राजेंद्र मिलन, आनंद राय, बसंत रावत, सत्य प्रकाश, दीपक सरीन, विशाल झा, पियूष सचदेवा आदि उपस्थित रहे।