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प्रधानमंत्री को राष्‍ट्रपत‍ि से आग्रह करके संसद के नए भवन उद्घाटन में बुलाना चाह‍िए – आनंद शर्मा

नई दिल्ली। देश के नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 28 मई को किया जाएगा। हालांकि, इसको लेकर राजनीति भी लगातार जारी है। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।


इसको लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कुछ साल पहले कोरोना महामारी के दौरान जब देश में त्राहि-त्राहि मची थी, तब नई संसद बनाने का फैसला क‍िया गया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज तक दुन‍िया के क‍िसी प्रजातंत्र ने अपनी संसद को नहीं बदला है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संसद के शिलान्यास से राष्ट्रपति को बाहर करने के बारे में प्रमुख निर्णय लेना संवैधानिक रूप से सही नहीं है, अब उद्घाटन के लिए भी ऐसा हो रहा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब नई संसद की नींव रखी गई तब भी राष्ट्रपति को दूर रखा गया और अब नए संसद भवन के उद्घाटन से भी राष्ट्रपति को दूर रखा जा रहा है। ये न्यायोचित नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री को राष्‍ट्रपत‍ि से आग्रह करके उन्‍हें उद्घाटन में बुलाना चाह‍िए। उन्होंने कहा कि देश की संसद से भारत की आजादी का इतिहास जुड़ा है। वह केवल इमारत नहीं है। कहना आसान है कि संसद अंग्रेजों के समय बनी। लेकिन पैसा, कारीगर-मजदूर, इमारत में लगे पत्थर सब हमारे ही देश के थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उसका जवाब सरकार को देना होगा।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराए जाने की मांग करते हुए सोमवार को कहा कि अगर ऐसा होता है तो इससे लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दिखेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सरकार में राष्ट्रपति का पद महज प्रतीकात्मक बनकर रह गया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को कहा था कि संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं, बल्कि राष्ट्रपति मुर्मू को करना चाहिए।