मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में अब एक और दावा पेश किया गया है। दीवानी न्यायाधीश सीनियर डिवीजन अदालत में पेश किए गए इस दावे में भी कहा गया है कि औरंगजेब ने ठाकुर केशवदेव मंदिर को ढहाकर उसके स्थान पर ही ईदगाह का निर्माण कराया है। ठाकुर केशवदेव एवं श्रीकृष्ण विराजमान के बाद श्रीकृष्ण लला के अनुयायी के रूप में पेश किए दावे की पुष्टि के लिए उन तमाम पुस्तकों का हवाला दिया गया है, जिनमें कहीं भी प्राचीन केशवदेव या केशवराय मंदिर को तोड़कर ईदगाह का निर्माण कराए जाने का जिक्र किया गया है।
वादी पक्ष के अधिवक्ता कपिल चतुर्वेदी ने बताया कि पूर्वी दिल्ली निवासी नरेश कुमार यादव एवं समयपाल सिंह का कहना है कि उक्त 13.37 एकड़ क्षेत्र में आने वाली सम्पूर्ण भूमि श्रीकृष्ण लला की है। उनका कहना है कि सन् 1670 में भले ही औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर उसके स्थान पर ईदगाह बनवा दी हो, परंतु यह स्थान पहले भी देवस्थान था और अब भी है, इसलिए ईदगाह को वहां से हटवाकर सम्पूर्ण परिसर मंदिर के हवाले किया जाए।
उन्होंने यह बताया कि दावाकर्ताओं ने अपनी प्रार्थना में अनुरोध किया है कि चूंकि प्रतिवादी सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी अथवा उस प्रकार की सोच वाले लोगों से मंदिर एवं देवस्थान के विग्रह आदि प्रतिमानों को खतरा है, इसलिए उन सभी को सम्पूर्ण परिसर में प्रवेश करने, अतिक्रमण अथवा किसी भी प्रकार का छोटा या बड़ा निर्माण करने पर रोक लगाई जाए।
प्रतिवादी ईदगाह कमेटी के सचिव तौकीर अहमद ने कहा कि पहले भी इस प्रकार के कई दावे अदालत में पेश किए जा चुके हैं, परंतु ये सभी नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा-सात नियम-11 के तहत सुनवाई योग्य ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही, इस प्रकार के सभी मामले 1991 के उपासना स्थल अधिनियम के तहत बाधित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अभी हमें दावे की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। जब प्रति मिल जाएगी, तब उसका अध्ययन करके जवाब दाखिल कर देंगे।
साभार – प्रभासाक्षी