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ट्रेनिंग का वक़्त अनमोल है – हाजी मुहम्मद इक़बाल

आगरा।नहर वाली मस्जिद के ख़तीब व इमाम ए जुमा हाजी मुहम्मद इक़बाल में ख़ुत्बा ए जुमा में कहा कि आज के जुमा के ख़ुत्बे में बच्चों की बात करेंगे क्योंकि ये ही आने वाला ‘कल’ हैं, इसीलिए ये बहुत अहम मुद्दा है, लेकिन हम इस पर बहुत लापरवाह हैं और इसी का नतीजा है जो ये ख़बरें मिलती हैं कि उसने ‘दीन’ को छोड़ दिया और अपनी मर्ज़ी से तमाम काम कर लिए, अब इसका हल तलाश करते हैं, जो वक़्त ट्रेनिंग का था वो आपने लापरवाही में निकाल दिया अब सिर झुका कर अफ़सोस कर रहे हैं, जी हाँ! यही हो रहा है, पहले दो हदीसों को ग़ौर से समझ लें, अबू दाऊद नम्बर 494 “अल्लाह के नबी ने फ़रमाया: बच्चे सात साल के हो जाएं तो उन्हें नमाज़ पढ़ने का हुक्म दो, और जब दस साल के हो जाएं तो उन्हे नमाज़ छोड़ने पर सज़ा दो।” दूसरी हदीस सुनन इब्ने माजा नम्बर 3671 “अपनी औलाद के साथ बेहतर सुलूक करो, और उनको अच्छा अदब सिखाओ।” हम पहले नमाज़ की बात कर लेते हैं, हम में से कितने लोग हैं जो ये बात ज़िम्मेदारी से कह सकते हैं कि हमने अपने बच्चों को सात साल की उम्र से नमाज़ में अपने साथ खड़ा किया था और दस साल के होने पर उनको सज़ा भी दी थी, अगर उनको उम्र के उस हिस्से में, जो इस्लाम ने बताया है, नमाज़ की ट्रेनिंग दी जाती तो काबा के रब की क़सम है वो बच्चा बड़े होकर कभी भी नमाज़ नहीं छोड़ेगा। उसको रात को नींद नहीं आ सकती अगर उसने इशा की नमाज़ नहीं पढ़ी। ट्रेनिंग के वक़्त तो आप ख़ुद सोते रहे और कहते हैं कि वो नमाज़ी बन जाए, तो ऐसा बच्चा ‘रमज़ान वाला नमाज़ी’ ही बनेगा और जुमा भी वो ‘बोझ’ समझकर पढ़ेगा। इसका ज़िम्मेदार कौन होगा ?

आप अपने बच्चों को अगर बेहतरीन तोहफ़ा देना चाहते हैं तो उनको लाड-प्यार से दूर रखें। उनको कामयाब ज़िन्दगी गुज़ारने की बातें बताएँ, उनकी आदत ये बनाएँ कि वो दूसरों की शिकायत करने से बचें। हर मामले में अपनी ग़लती तलाश करें और ख़ुद की इस्लाह करने की आदत डालें। उनको समझाएँ कि अगर तुमने कोई ग़लती की है तो उसकी सज़ा या उसकी क़ीमत भी तुमको ही अदा करनी होगी, दूसरों की शिकायत करके अपना वक़्त बर्बाद न करें, हमेशा अपनी सोच पाॅज़िटिव रखें, बुरी आदतों से बचें, उनको हमेशा उनकी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाएँ, उनको दुनिया और आख़िरत में कामयाबी के उसूल बताएँ, उनकी आदत ये बनाएँ कि वो अपने घर और समाज पर बोझ न बनें बल्कि घर और समाज की पूँजी बनें, दूसरे लोग अगर माँ-बाप से तुम्हारी तारीफ़ करें तो ये है कामयाबी। तो असल बात है कि जो कुछ हो रहा है हम ख़ुद ही उसके पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं। आज ज़रूरत है ख़ुद अपना हिसाब करने की, आपसे दरख़्वास्त है कि रात को सोने से पहले उन तमाम बातों पर संजीदगी से ग़ौर करें। अल्लाह हम सबको नेक अ़मल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।