नई दिल्ली। सारे जहां से अच्छा’ देश प्रेम से जुड़ा यह गीत शायर मोहम्मद इकबाल ने लिखा था। अभी तब जह भी हम पॉलिटिकल साइंस पढ़ते थे उनके बारे में जरूर पढ़ाया जाता था लेकिन अब खबरें आ रही है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मुहम्मद इकबाल के बारे जो कुछ भी पढ़ाया जाता था उसे राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से हटा दिया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार वैधानिक निकाय के सदस्यों का हवाला देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मुहम्मद इकबाल पर राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से एक अध्याय को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। मुहम्मद इकबाल ने प्रसिद्ध देशभक्ति गीत “सारे जहां से अच्छा” लिखा था।
मुहम्मद अल्लामा इकबाल का जन्म 1877 में अविभाजित भारत में हुआ था। अधिकारियों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि ‘मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट’ नाम का अध्याय बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) के छठे सेमेस्टर के पेपर का हिस्सा था। मामला अब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो अंतिम निर्णय लेगी, जो 9 जून को मिलने वाली है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की 1014वीं एकेडमिक काउंसिल की बैठक में स्नातक पाठ्यक्रम पर चर्चा के दौरान यह निर्णय लिया गया. कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि ‘भारत को तोड़ने की नींव रखने वालों’ को पाठ्यक्रम में नहीं होना चाहिए।
कुलपति के प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। बैठक में अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) 2022 के तहत विभिन्न पाठ्यक्रमों के चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम के लिए संकल्प पारित किया गया। इस मौके पर कुलपति ने डॉ. भीमराव अंबेडकर व अन्य को पढ़ाने पर भी जोर दिया।
अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने कहा, “राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव के संबंध में एक प्रस्ताव लाया गया था। प्रस्ताव के अनुसार इकबाल पर एक अध्याय था जिसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।” यह स्थायी समिति का एक सुझाव था जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा अकादमिक परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है। परिषद ने विभाजन अध्ययन, हिंदू अध्ययन और जनजातीय अध्ययन के लिए नए केंद्र स्थापित करने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। हालांकि, परिषद के पांच सदस्यों ने विभाजन अध्ययन के प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि यह “विभाजनकारी” है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस घटनाक्रम का स्वागत करते हुए कहा कि भारत के विभाजन के लिए “कट्टर धार्मिक विद्वान” इकबाल जिम्मेदार थे। एबीवीपी ने एक बयान में कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद ने धर्मांध विद्वान मोहम्मद इकबाल को डीयू के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला किया है। इसे पहले बीए के छठे सेमेस्टर के पेपर ‘मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट’ में शामिल किया गया था।उन्होंने कहा कि मोहम्मद इकबाल को ‘पाकिस्तान का दार्शनिक पिता’ कहा जाता है। वह जिन्ना को मुस्लिम लीग में एक नेता के रूप में स्थापित करने में प्रमुख खिलाड़ी थे। मोहम्मद इकबाल भारत के विभाजन के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने मोहम्मद अली जिन्ना हैं।”