राष्ट्रपति महोदया से उद्घाटन नहीं कराना वंचित समुदाय का अपमान- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश के हर ज़िले से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी से नहीं कराने पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। ज्ञापन के माध्यम से इसे प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया है।
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि संविधान का अनुछेद 79 स्पष्ट करता है कि ‘संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी’। अर्थात राष्ट्रपति हमारे संसदीय लोकतंत्र की कस्टोडियन हैं। इसलिए नए संसद भवन का उद्घाटन संवैधानिक तौर पर राष्ट्रपति को ही करना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर उसका उद्घाटन खुद करना संविधान विरुद्ध है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि राष्ट्रपति का पद किसी व्यक्ति विशेष का पद नहीं होता बल्कि वह राष्ट्र प्रमुख का पद होता है। इसलिए प्रोटोकॉल का यह उल्लंघन संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। चूंकि ‘संविधान हम भारत के लोग’ द्वारा निर्मित और स्वयं को आत्मअर्पित है इसलिए राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल का उल्लंघन प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक मर्यादा पर हमला है। इसमें लोकतंत्र के कमज़ोर होने और सत्ता के व्यक्तिवादी निरंकुशता की तरफ बढ़ने के खतरे निहित हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ज्ञापन में कहा गया है कि राष्ट्रपति महोदया आदिवासी समाज से आने वाली महिला भी हैं। उनके इस पद पर आसीन होने को वंचित तबकों खासकर इन समाजों की महिलाओं के सशक्तिकरण के बतौर देखा गया।
इसलिए यह अपमान सिर्फ़ एक व्यक्ति के बतौर उनका अपमान नहीं बल्कि समूचे वंचित समुदाय का भी अपमान है।
ज्ञापन में अनुरोध किया गया है कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा और वंचित समुदायों के सम्मान के लिए वो स्वयं इस अपमान का विरोध कर अपने पद की गरिमा की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएं। पूरा देश उनके साथ खड़ा है।