लखनऊ । स्वतंत्रता आंदोलन में किसी भी व्यक्ति ने हिंदू या मुस्लिम राष्ट्र के लिए बलिदान नहीं दिया था। सभी ने सेकुलर और लोकतांत्रिक भारत के लिए संघर्ष किया था। किसी भी राष्ट्रीय परियोजना में इस भावना का प्रतिबिंबित होना ज़रूरी है। ये बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 98 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन पर सभी धर्मों के धर्म गुरुओं को शामिल नहीं करना स्वतंत्रता आंदोलन की उन सामूहिक भावनाओं पर हमला है जिसके साथ 200 सालों तक देश की जनता ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ़ संघर्ष किया था। उन्होंने कहा कि यह प्रवित्ति देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और गैर भाजपा सरकारों में भी ऐसे अवसरों पर हमेशा सर्व धार्मिक कार्यक्रम हुआ करते थे जिससे हर वर्ग के लोग अपनापन महसूस करते थे। लेकिन भाजपा सरकार ने इस परंपरा की अवहेलना करके पूरी दुनिया में देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि देश के सेकुलर और लोकतांत्रिक ढांचे को बचाने के लिए ज़रूरी है कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत पर गर्व करने वाली महान जनता 2024 में राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनवाये।