संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। जिले में स्वास्थ विभाग पर दुर्दशा की छाया हैं। यह बात दीगर हैं की डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल इस दुर्दशा के दंश को गहराई से समझ पाती हैं या नहीं। इस विभाग में धरातलीय मूलभूत समस्याएं हैं। “सूत न कपास जुलाहों में लठ्ठम-लठ्ठ” की स्थिति है। दुर्भाग्य यह की समीक्षा बैठकों में संदेश और निर्देश के आवरण में हकीकत नजर अंदाजी की भेंट चढ़ जाती है.
इसी क्रम में डीएम दुर्गा शक्ति नें स्वास्थ समिति की बैठक कर पल्स पोलियो अभियान ,टीका करण ,आयुष्मान कार्ड आदि की स्वास्थ विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा की। समीक्षा में दिशा -निर्देश की औपचारिकतायें परंपरा के अनुसार पूरी हो गईं!
आश्चर्य की बात तो यह हैं की स्वास्थ विभाग में एएनएम के पद रिक्त हैं। जिले के हर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में जहां दो एएनएम की तैनाती होनी चाहिये वहां एक एएनएम की तैनाती हैं।
अब जहां “डबल इंजन की ताकत लगनी चाहिये वंहा एक इंजन भार कैसे खींच” पायेगा। एक एएनएम एक दिन में अपनी फील्ड के आधा दर्जन गांव कैसे पहुंचेगी। यह उदाहण तो एक बानगी मात्र हैं। “दवा और ब्लड प्रेशर एवं शुगर जांच जैसी सामान्य उपकरण तक एएनएम को उपलब्ध” नहीं हैं। “बिना हथियार इलाज का पहाड़ा पढ़ाया” जा रहा हैं !
खैर डीएम नें मीटिंग ली परसों से शुरू हो रहे पल्स पोलियो अभियान को गति देने के निर्देश दिये। खबर से इतर यह भी उल्लेख कर दें की सूचना विभाग नें “समझ से परे वाली लंबी दिशा हीन खबर” बना मीडिया को प्रेषित कर दी।”सूचना विभाग की भी योग्यता का भगवान हीं मालिक” हैं। खबरें “लिख लोढ़ा पढ़ पत्थर की कहावत चरित्रार्थ” करती है।