सपा के जातिगत वोटर मुसलमानों से वोट लेते तो हैं, देते नहीं हैं
जौनपुर। सपा के जातिगत वोटर मुसलमानों से वोट तो ले लेते हैं लेकिन देते नहीं हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन सहारनपुर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर जैसे मुस्लिम बहुल सीटों पर ही जीत पाया था। सजातीय वोटरों वाली सीट बदायूं और कन्नौज हार गया था। 2024 में मुसलमान सपा को छोड़ कर पूरी तरह कांग्रेस के साथ आने का मन बना चुके हैं।
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने जौनपुर के शाही किला स्थित मेहंदी पैलेस में कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में कहीं।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनाव में भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजह थी कि मुसलमानों ने पूरी तरह कांग्रेस को वोट किया और जेडीएस को नकार दिया। कर्नाटक से सीख लेते हुए उसे यह फार्मुला समझ में आ गया है कि बिना सपा और बसपा को खत्म किये भाजपा नहीं हार सकती।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने पिछड़ों के नाम पर अंसारी, क़ुरैशी, सलमानी, मंसूरी, इदरीसी, सैफी,
लालबेगी, गद्दी, घोसी से वोट तो ले लिया लेकिन उनके लिए तय 27 प्रतिशत आरक्षण पर सिर्फ़ सजातीय लोगों का ही क़ब्ज़ा बनाये रखा। यह बात अब मुसलमान समझ गए हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुसलमानों को यह भी समझ में आ गया है कि जब वो पूरी तरह कांग्रेस को वोट करते थे तब भाजपा के पूरे देश से सिर्फ़ दो सांसद होते थे। अगर फिर से भाजपा को दो सीटों पर पहुँचाना है तो फिर से कांग्रेस में वापसी करनी होगी।