संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। किसानों की पसंद व्यापारी बन जाने से इलू -इलू का माहौल है। सरकारी व्यापारी हताशा और सन्नाटा में है। इनकी डेहरी पर किसानों की भीड़ नहीं लग रही।ऐसा “झन्नाटेदार कशिश दी है की सरकारी गेहूं खरीद केंद्र सन्नाटें” में है। दूसरी ओर, प्राइवेट खरीदारों के यहां गेहूं बेचने आए किसानों की लाइन लगी है। यहां किसानों को समर्थन मूल्य से ज्यादा पैसा भी मिल रहा है। ऐसे में मंडल में लक्ष्य के सापेक्ष दो माह में महज 20 फीसदी ही गेहूं की खरीद हो सकी है। जबकि खरीद को महज अब 18 दिन ही बाकी हैं।
चित्रकूटधाम मंडल में गेहूं खरीद का काम पहली अप्रैल से शुरू हुआ था।
विभिन्न एजेंसियों के 204 क्रय केंद्र खुले है। समर्थन मूल्य 2125 पर खरीद हो रही है, लेकिन किसान क्रय केंद्रों की ओर रुख नहीं कर रहा है। किसानों का रुझान प्राइवेट खरीद केंद्र की तरफ ज्यादा है।कारण यह है की सरकारी केंद्र में जहां तमाम शर्ते और अड़ंगेबाजी है वहीं प्राइवेट खरीद केंद्र में उनका गेहूं आसानी से बिक रहा है। दूसरी वजह यह भी है कि दाम भी समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहे हैं। ऐसे में मंडल के राजकीय गेहूं खरीद केंद्र में अब तक सिर्फ 41050 एमटी गेहूं खरीदा गया। जो लक्ष्य के सापेक्ष 20 फीसदी है। पिछले वर्ष इस अवधि में 15473 एमटी गेहूं खरीद हो गई थी।
बाजार में गेहूं के दाम क्विंटल में
सफेद गेहूं 2300-2400
कठिया गेहूं 2600-2800
जवा मिक्स 2200-2300 है। बिक्री के क्रम में बिना हर्रै फिटकरी के रंग चोखा वाली कहावत किसानों को सुहा रही है।
संभागीय नियंत्रक अमर पाल सिंह का कहना है की खुले बाजार में गेहूं के दाम अधिक होने से किसान क्रय केंद्रों में कम आ रहे हैं। केंद्र प्रभारियों से कहा गया है कि किसानों से फोन पर संपर्क कर उन्हें गेहूं बेचने के लिए प्रेरित करें। लक्ष्य को प्राप्त करने की हर संभव कोशिश की जा रही है।