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ताजनगरी के कवि कुमार ललित को बैंकॉक में मिला थाई-भारत गौरव सम्मान के साथ थाईलैंड काव्य सम्मान

थाई भारत कल्चरल लॉज और थाईलैंड हिंदी परिषद सँग साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन ने थाईलैंड में आयोजित किया दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्योत्सव

आगरा। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा निराला पुरस्कार से सम्मानित ताजनगरी के कवि- गीतकार कुमार ललित ने उत्तर प्रदेश के बाद अब आगरा का नाम साहित्य क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। थाईलैंड के थाई भारत कल्चरल लॉज और थाईलैंड हिंदी परिषद के साथ भारत के साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन द्वारा विगत 9-10 जून को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक स्थित द इंडिया- थाई चेंबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और साहित्योत्सव आयोजित किया गया था।


समारोह में सुदीर्घ हिंदी सेवा और काव्य क्षेत्र में सारस्वत साधना के लिए कुमार ललित को थाईलैंड काव्य सम्मान प्रदान किया गया। वहीं साहित्य साधना द्वारा भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें थाई-भारत गौरव सम्मान प्रदान कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया।


थाईलैंड हिंदी परिषद के अध्यक्ष सुशील धनुका, साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन भारत के अध्यक्ष मनोज कुमार, सचिव डॉ. सुमन रानी, इंडिया- थाई चेंबर ऑफ कॉमर्स थाईलैंड के पूर्व अध्यक्ष रवि सहगल, जीआईएस बैंकॉक की विभागाध्यक्ष एवं कवयित्री शिखा रस्तोगी, टोक्यो-जापान की पत्रिका ‘हिंदी की गूंज’ की संपादक रमा पूर्णिमा शर्मा, मारवाड़ी युवा मंच कुआलालंपुर (मलेशिया) की संरक्षक एवं कवयित्री श्रीमती अंजू पुरोहित और केंद्रीय हिंदी संस्थान में नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उमापति दीक्षित ने कुमार ललित को अभिनंदन पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

यह भी रहे शामिल..
सम्मान समारोह का संचालन फरीदाबाद की राजकीय महाविद्यालय फरीदाबाद के हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा रानी चौहान ने किया। इस दौरान थाई भारत कल्चरल लॉज बैंकॉक के सचिव राकेश माटा, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय की उप प्राचार्य प्रोफेसर संध्या गर्ग, जगलाल चौधरी कॉलेज छपरा के हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुमारी मनीषा और दिल्ली विश्वविद्यालय के अदिति महाविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मंजू रानी सहित भारत, थाईलैंड, मलेशिया और जापान के ख्याति लब्ध कवि, साहित्यकारों और शिक्षाविदों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

फहराई काव्य पताका..
दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के अंतिम सत्र में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कुमार ललित ने हिंदी काव्य की पताका फहराते हुए अपने दोहों और मुक्तकों से सबको भावविभोर कर दिया। इन पंक्तियों पर सब झूम उठे-
” तुम्हारी साँस पल भर को हमें यदि मिल गई होती। हमारी देह चंदन सी सुवासित हो गई होती। अगर तुम बाँच लेते चाहतों की पांडुलिपियाँ तो। हमारे नेह की पुस्तक प्रकाशित हो गई होती..”