संभल। यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में सावरकर को पढ़ाने का विरोध करते हुए अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने इसे भविष्य की पीढ़ियों को डरपोक बनाने की आरएसएस की साज़िश का हिस्सा बताया है।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भगत सिंह, अश्फ़ाकुल्ला खान और अन्य कांग्रेसी स्वतंत्रता सेनानियों के विपरीत विनायक दामोदर सावरकर बहुत बड़े डरपोक थे और अंग्रेज़ों से माफी मांगते हुए कई पत्र भी लिखे थे। उन्होंने खुद ही अपने नाम के आगे वीर जोड़ दिया था। अब अगर ऐसे डरपोक लोगों का महिमामंडन करते हुए स्कूलों में पढ़ाया जाएगा तो इससे बच्चों के मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ेगा और ये बच्चे भी डरपोक हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आरएसएस डरपोक लोगों का संगठन है इसलिए वो सबको डरपोक बनाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि संघ संचालित स्कूलों में सावरकर की तस्वीरें लगी रहती हैं। इसीलिए हम देखते हैं कि वहाँ से निकले छात्र सरकार विरोधी आंदोलनों और सामाजिक परिवर्तन के आंदोलनों में शामिल नहीं होते।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सावरकर के बारे में अगर पढ़ाना है तो उनके अंग्रेज़ों से माफी मांगने और अंग्रेज़ों से प्रतिमाह 65 रूपये पेंशन लेने के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि बच्चे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेज़ों के साथ खड़े गद्दारों के बारे में ठीक से जान सकें।