जीवन शैली

ज़िबह के बग़ैर क़ुरबानी के सवाब का ऑफर! हाजी मुहम्मद इक़बाल

आगरा। सिकंदरा स्थित नहर वाली मस्जिद के ख़तीब व इमाम जुमा हाजी मुहम्मद इक़बाल ने ख़ुत्बे ए जुमा में कहा कि में एक ‛ऑफर’ का ज़िक्र होगा, जो कि हर एक शख़्स को मिल सकता है जो थोड़ी सी प्लानिंग कर ले, जी हाँ! बग़ैर जानवर ज़िबह किये हुए अल्लाह की तरफ़ से क़ुरबानी का सवाब मिल जाएगा। ये एक बेहतरीन ऑफर है और अल्लाह की तरफ़ से है जिसके मिलने की पूरी गारंटी आपके पास है यानि हमारा सबका ईमान अल्लाह पर है जिसको यक़ीन नहीं वो ‛मुसलमान’ ही नहीं। आपके सामने बुख़ारी और मुस्लिम की दो हदीसें पेश कर रहा हूँ, इस दुनिया मे क़ुरआन के बाद सबसे ज़्यादा इन दो किताबों पर ही मुसलमान का सबसे ज़्यादा यक़ीन है। बुख़ारी की हदीस नम्बर 929 और मुस्लिम की हदीस नम्बर 850 को नोट कर लें हदीस को बयान किया है हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्हु ने। हदीस का खुलासा ये है कि अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया– “जब जुमा का दिन आता है तो फ़रिश्ते मस्जिद के दरवाज़े पर आने वालों के नाम लिखते हैं। सबसे पहले आने वाला ऊँट की क़ुर्बानी देने वाले की तरह लिखा जाता है, उसके बाद आने वाला गाय की क़ुर्बानी देने वाले की तरह फिर मेंढे की क़ुर्बानी का सवाब उसके बाद मुर्ग़ी का सवाब उसके बाद अंडे का सवाब लिखा जाता है। जब इमाम ख़ुत्बे के लिए मिम्बर पर आता है तो फ़रिश्ते अपने लैपटॉप बन्द कर देते हैं और ख़ुत्बा सुनने में व्यस्त हो जाते हैं।” इससे ये भी मालूम हुआ कि इमाम के मिम्बर पर आने के बाद जो आता है उसका नाम नहीं लिखा जाता, ये बहुत बड़ा नुकसान हुआ। इसीलिए ज़रूरी है कि वक़्त से पहले मस्जिद में आएं और सवाब के साथ लैपटॉप में अपना नाम भी दर्ज कराएं और अल्लाह का ये ऑफर हर जुमे को होता है। अल्लाह के बंदों! जुमा आठ दिन में आता है क्या आप पहले से इसकी प्लानिंग नहीं कर सकते ? आज आप ये फ़ैसला मस्जिद से निकलने से पहले करलें कि अगले जुमे को सबसे पहले मस्जिद में दाख़िल होंगे। इन शा अल्लाह। अल्लाह हम सबको तौफ़ीक़ अता फ़रमाये।  आमीन।