उत्तर प्रदेश

राहुल गाँधी के मणिपुर दौरे ने फिर साबित किया कि सिर्फ़ वही देश को अखण्ड रख सकते हैं- शाहनवाज़ आलम

मणिपुर की हिंसा के लिए आरएसएस ज़िम्मेदार

लखनऊ। मणिपुर को भाजपा और आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति ने हिंसा की आग में झोंका है। वो इस हिंसा की आड़ में पूरे पूर्वोत्तर में आदिवासी बनाम हिंदू का ध्रुविकरण करना चाहती है। इस खेल में न्यायपालिका का एक हिस्सा भी शामिल है। राहुल गाँधी के जाने के बाद वहाँ शांति स्थापित हो रही है। ये बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 103 वीं कड़ी में कहीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मैतेयी समुदाय मणिपुर में 60 प्रतिशत से ज़्यादा है। 60 सीटों वाली विधानसभा में 40 सदस्य मैतेयी समुदाय से ही आते हैं। नौकरियों में भी उन्हीं की हिस्सेदारी ज़्यादा है क्योंकि वो सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूत हैं। ऐसे में मैतेयी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किए जाने की मांग उचित नहीं है जिसे आरएसएस उकसा रहा है। सौ से ज़्यादा लोगों की हत्या की ज़िम्मेदार आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 19 अप्रैल 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन द्वारा राज्य सरकार को मैतेयी समुदाय के एसटी वर्ग में शामिल किये जाने की मांग को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार को सुझाव भेजने के निर्देश के बाद से ही हिंसा का दौर शुरू हुआ। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि मौजूदा हिंसा को भड़काने में न्यायपालिका की भी भूमिका है। क्योंकि यह हर कोई जानता है कि एससी या एसटी कैटेगरी को निर्धारित करने का अधिकार राष्ट्रपति को है ना कि हाई कोर्ट को। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस फैसले को ‘तथ्यात्मक तौर पर पूरी तरह गलत’ बताते हुए यह टिप्पणी करना कि ‘हमने मुरलीधरन को अपनी त्रुटि सही करने का वक़्त दिया लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया… जब हाई कोर्ट के जज कांस्टिट्यूशन बेंच के फैसलों को नहीं मानेंगे तो हमें पता है है हमें क्या करना है’ साबित करता है कि हाई कोर्ट का निर्देश क़ानून सम्मत नहीं था। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि एमवी मुरलीधरन के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट सख़्त कार्यवाई करे ताकि मणिपुर के लोगों में यह भरोसा कायम हो सके कि उनके संवैधानिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मणिपुर की हिंसा को सांप्रदायिक रंग देने के लिए बांग्लादेश, म्यांमार और ईसाई मिशनरियों का एंगल सरकार समर्थक मीडिया दे रहा है। वहीं आदिवासी समुदायों की छवि बिगाड़ने के लिए इस फैसले के विरोधी वर्गों को ड्रग माफिया से भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है। जो निंदनीय है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि राहुल गाँधी जी के मणिपुर दौरे के बाद हिंसा रुकने लगी है। जो एक बार फिर साबित करता है कि राहुल गाँधी का प्रधानमन्त्री बनना देश की एकता और अखंडता के लिए बहुत ज़रूरी है। सिर्फ़ वही हैं जो पूरे देश को एकजुट रख सकते हैं।