- आगरा में किया जा रहा है स्पोर्ट इंजरी का दूरबीन विधि से सफल ऑपरेशन
- 30 साल से कम उम्र के लोग होते हैं बार-बार कंधा उतरने की समस्या से ग्रस्त
आगरा। दर्द रहित और बिना खून निकले कंधे का सफल ऑपरेशन अब आगरा में भी होने लगा है। जिस इलाज के लिए लोगों को लाखों रुपए खर्च करके दिल्ली-मुंबई जाना पड़ता था अब वह इलाज आधे खर्चे पर ही आगरा में भी उपलब्ध है। यह जानकारी दी वरिष्ठ ऑर्थोस्कॉर्पिक जोड़ प्रत्यारोपण एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ विजय पाल सिंह ने।
4 जुलाई 4 जुलाई 2003 दिन मंगलवार को संजय प्लेस स्थित जीजी मेडिकल इंस्टिट्यूट में निशुल्क जोड़ प्रत्यारोपण एवं हड्डी रोग जांच का शिविर लगाया गया। करीब 100 मरीजों की निशुल्क जांच की गई। शिविर में डॉ विजय पाल सिंह ने बताया कि बिना चिर फाड़, दर्द रहित और रक्त रहित एडवांस सर्जरी आर्थोस्कोपी के द्वारा अपरेशन के बाद अगले दिन ही हॉस्पिटल से छुट्टी हो जाती है। कंधे के उतरने का कारण लापरवाही है। खेलकूद, ट्रेन या बस में खड़े होकर ऊपर हाथ से रेलिंग को पकड़े पकड़े यात्रा करने के दौरान अचानक अथवा एक्सीडेंट के कारण कंधा उतर जाता है। इस चोट में हाथ की ऊपरी हड्डी में कैप्सूल से कंधा बाहर आ जाता है एवं कंधे के हिलने की वजह से तेज दर्द, कंधे का सुन होना स्वाभविक है।
यदि इस समस्या से पीड़ित कोई भी व्यक्ति है समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेने में देरी न करे।
डॉ सिंह ने कहा कि ओपन ऑपरेशन में कंधे का मूवमेंट पूरी तरह नहीं हो पाता और खून भी अधिक निकलता है। वहीं आगरा में भी इसका इलाज पहले संभव नहीं था। इसके लिए दिल्ली मुंबई जाना पड़ता था लेकिन अब वहां से आधे खर्चे में आगरा में ही मरीज इलाज का लाभ ले रहे हैं।
30 वर्ष से कम उम्र के लोग समस्या से अधिक पीड़ित
डॉ विजय पाल सिंह ने कहा कि कंधा उतरने की समस्या से स्पोर्ट्स पर्सन के अलावा 30 वर्ष से कम उम्र के लोग इस समस्या से अधिक ग्रसित हो रहे हैं। इसके पीछे एक सबसे बड़ा कारण है बस या ट्रेन में हाथ ऊपर करके पकड़ के काफी देर तक खड़े रहना, खानपान का उचित ना होना। एडवांस सर्जरी के माध्यम से कंधे का पूरा मूमेंट होने लगता है। दूसरे दिन ही घर जा सकते हैं।
बता दें एडवांस आर्थोस्कोपी के विशेषज्ञ डॉ विजय पाल सिंह 100 से ज्यादा शोल्डर आर्थ्रोस्कॉपी कर चुके हैं। विगत माह करीब आधा दर्जन से अधिक मरीजों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। मात्र 3 छेद से कैप्सूल और हड्डी को सिल दिया जाता है, जिससे मरीज का अस्पताल और दवाइयों का खर्चा भी कम होता है।