राम जन्मभूमि न्यास के महामंत्री चम्पत राय और क्रांतिवीर तात्या टोपे के परिजन डॉ. राजेश टोपे सहित कई गणमान्य हस्तियाँ करेंगी सहभागिता
संस्कृति मंत्रालय के निर्देशन में सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज एवं संस्कार भारती क्रांति तीर्थ श्रंखला के समापन पर करेगी क्रांतिकारियों एवं बलिदानियों का पुण्य स्मरण, आयोजकों ने अतिथि वन में समारोह के पोस्टर का किया विमोचन
आगरा। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशन में सीएआरडीसी यानी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज एवं संस्कार भारती द्वारा आयोजित कांति तीर्थ श्रंखला के समापन पर 6
जुलाई, गुरुवार को शाम 5:30 बजे से सूरसदन में भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले क्रांतिकारियों एवं बलिदानियों का पुण्य स्मरण करते हुए उनके परिवारी जनों का सम्मान किया जाएगा।।समारोह से जुड़े आयोजकों द्वारा मंगलवार दोपहर वाटर वर्क्स स्थित अतिथि वन में उक्त जानकारी प्रदान करते हुए समारोह के पोस्टर का विमोचन किया गया।
गाँव-गाँव जाकर खोजे क्रांतिकारी
इस अवसर पर संस्कार भारती के अखिल भारतीय संरक्षक बाँकेलाल गौड़ और क्रांति तीर्थ श्रंखला के मंडल समन्वयक और वरिष्ठ साहित्यकार राज बहादुर सिंह राज ने बताया कि 1857 की क्रांति से लेकर 1933 तक आजादी के संग्राम में आगरा जनपद के शहरी और ग्रामीण इलाकों से सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अपनी जान निछावर की थी। आजादी के इन गुमनाम नायकों को इतिहास में न कोई स्थान मिला न सम्मान। हमने विगत 15 अप्रैल से 27 जून तक विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास, संपर्क और संवाद करके ऐसे 42 गुमनाम क्रांतिकारियों को खोज निकाला। इन सभी क्रांतिकारियों के परिवारी जन इस सम्मान समारोह में शामिल रहेंगे।
राज बहादुर सिंह राज ने बताया कि क्रांति तीर्थ श्रृंखला के अंतर्गत आगरा के 14 विद्यालयों में राष्ट्रीय भावना जागृत करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। वहीं वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल जैन और उमा शंकर मिश्रा के निर्देशन में विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर नुक्कड़ नाटकों का मंचन भी किया गया।
चम्पत राय रहेंगे मुख्य वक्ता
सीएआरडीसी की क्रांति तीर्थ परियोजना हेतु अखिल भारतीय मीडिया समन्वयक और जेएनयू दिल्ली के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शुचि यादव ने बताया कि इस समारोह में राम जन्मभूमि न्यास के महामंत्री चम्पत राय, क्रांतिवीर तात्या टोपे के परिजन डॉ. राजेश टोपे, जम्मू कश्मीर अनुसंधान केंद्र के निर्देशक आशुतोष भटनागर और महापौर हेमलता दिवाकर सहित कई गणमान्य हस्तियाँ सहभागिता करेंगी। समारोह की अध्यक्षता उद्यमी व समाजसेवी राजेश अग्रवाल (प्राचीन पेठा) करेंगे।
क्रांति तीर्थ श्रंखला ने नई पीढ़ी को समझाई आजादी की कीमत
सीएआरडीसी की मानद सचिव और दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान की सहायक प्राध्यापक डॉ. अमृता शिल्पी ने स्पष्ट किया कि क्रांति तीर्थ श्रंखला का उद्देश्य नई पीढ़ी को राष्ट्रीयता की मूल धारा से जोड़ना, उनको आजादी की कीमत समझाना और देश की आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले गुमनाम क्रांतिकारियों को प्रकाश में लाना था। अपने उद्देश्य की सफलता पर हम सब लोग उत्साहित महसूस कर रहे हैं।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से करेंगे शहीदों को नमन
कार्यक्रम संयोजक आलोक आर्य ने बताया कि समारोह में प्रतिभा तलेगांवकर के निर्देशन में राष्ट्र वंदना एवं राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगना श्रीमती रुचि शर्मा के निर्देशन में ‘शहीदों को नमन’ नृत्य नाटिका का मंचन भी किया जाएगा।
पोस्टर विमोचन में यह भी रहे शामिल
पोस्टर विमोचन के दौरान अशोक कुलश्रेष्ठ, नंद नंदन गर्ग, ओम स्वरूप गर्ग, अर्पित चित्रांश, यतेंद्र सोलंकी, प्रखर अवस्थी, और कुमार ललित भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
इनका होगा विशेष रूप से अभिनंदन
क्रांतिकारी परिवार सम्मान समारोह में मई-बटेश्वर के रहने वाले काकोरी कांड के योजनाकार और राम प्रसाद बिस्मिल के गुरु पंडित गेंदा लाल दीक्षित, मद्रास में क्रांति की ज्योत जगाने वाले कचौरा घाट-बाह निवासी शंभू नाथ आजाद, फतेहपुर सीकरी के सुचेता गांव को क्रांतिकारियों का अड्डा बनाने वाले भगवंत बाबा खंडेलवाल, शीतला गली में बम बनाने वाले फतेहाबाद निवासी राजेंद्र प्रसाद दौनेरिया, किरावली निवासी नंदू बाबा बंड और बालमुकुंद बल्ला के परिवारी जनों का विशेष रूप से अभिनंदन किया जाएगा।
इसी दिन आगरा में हुआ था स्वराज का जय घोष
डॉ. अमृता शिल्पी ने बताया कि आगरा में क्रांति तीर्थ श्रंखला का समापन समारोह 6 जुलाई को करने के पीछे नई पीढ़ी को यह बताना है कि 6 जुलाई स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास में आगरा की दृष्टि से एक विशेष ऐतिहासिक तिथि है क्योंकि इसी दिन आगरा से क्रांतिकारियों ने स्वराज का जयघोष किया था। क्रांति की ज्वाला फिर हर दिन और भी धधकती ही चली गई।