मोदी सरकार मुसलमानों के धार्मिक आजादी को खत्म करने की कोशिश कर रही है। : मज़हर आलम मजाहिरी
जालंधर : जमीयत उलेमा के जिला अध्यक्ष पत्रकार मज़हर आलम की अध्यक्षता में आज मस्जिद-ए-क़ुबा खांबड़ा जालंधर में जुमे की नमाज़ के बाद मुसलमानों ने मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। मुसलमानों को संबोधित करते हुए पत्रकार मज़हर आलम ने कहा कि मोदी सरकार एक बार फिर विधि आयोग के माध्यम से देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की कोशिश कर रही है, जो अनावश्यक और धर्म में हस्तक्षेप है। देश के संविधान के अनुसार सभी लोगों को पूर्ण धार्मिक अधिकार दिया गया है। उन्हें अपने निजी मामलों में अपने धर्म के कानूनों के अनुसार कार्य करने की आजादी है। लेकिन दुर्भाग्य से, सरकार इस धार्मिक स्वतंत्रता को समाप्त करने की कोशिश कर रही है।
मजहर आलम ने कहा कि हमारा देश, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सामाजिक वर्गों और जनजातियों के लोग अपने धर्म की शिक्षाओं का पालन करके शांति और एकता के साथ रह रहे हैं, न केवल उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता का आनंद मिला है, बल्कि वे असमानता से भी मुक्त हुए हैं। उनमें से किसी ने भी कभी दूसरे की धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों पर आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि इस्लाम एक पूर्ण धर्म है और इसका एक मुकम्मल सिविल कोड है, विवाह, तलाक और अन्य सामाजिक मामले पूरी तरह से इस्लामी नागरिक संहिता द्वारा निर्देशित होते हैं। और इसका कोई भी कानून अधूरा नहीं है। इस अवसर पर समाजसेवी अयूब जोहरी, तबरेज आलम, मकसूद आलम, अकबर अली, मुस्तफा, हाफिज साबित, नसीम सलमानी, मास्टर रफीक, शमशेर ठेकेदार, सेठी रेखी व अन्य मौजूद थे
*क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?*
यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।