वाराणसी। वाराणसी की एक जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण के तहत कार्बन डेटिंग पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट 21 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगी। इस साल मई में अदालत काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण के लिए एक याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हुई थी। कोर्ट ने हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका स्वीकार कर ली थी।
विष्णु जैन की याचिका पर विचार करने के बाद, अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को हिंदू पक्ष द्वारा दी गई दलीलों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अब कार्बन डेटिंग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कुछ दिन पहले, हिंदू याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया था, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के परिसर में “शिवलिंग” की वैज्ञानिक जांच करने का निर्देश दिया गया था।
कार्बन डेटिंग क्या है?
जानिए कार्बन डेटिंग के विषय में
जैसा की कार्बन डेटिंग नाम से ही पता चलता है कि इसमें किसी भी वस्तु पर मौजूद कार्बन की मदद से उस वस्तु के समय काल का पता लगाया जाता है। यहां पर एक बात और पता चलती है कि इस विधि से केवल उसी वस्तु की उम्र का पता लग सकता है जिसमें कार्बन के तत्व मौजूद हो। हमारे वायुमंडल में कार्बन के तीन आइसोटोप्स हैं, जो धरती के विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा होते हैं। ये आइसोटोप्स कार्बन 12, कार्बन 13 और कार्बन 14 होते हैं। कार्बन 14 की जरूरत हमें कार्बन डेटिंग के लिए होती है।
साभार – प्रभासाक्षी