जूता उद्यमी बोले: BIS के के लागू होने से सूक्ष्म इकाइयों पर पड़ जायेंगे ताले
देश की जीडीपी और रोजगार पर आ सकता है बड़ा संकट, आवश्यक संसोधन जरुरी
आगरा। देश में सीधे तौर पर जूता फैक्ट्रियों में लगभग 50 लाख कर्मचारी काम करता हैं 1 जुलाई से बीआईएस जैसा सख्त कानून फुटवियर इंडस्ट्री पर लागू किया जा चुका है। यदि हमारी मांगों के अनुसार इसमें आवश्यक संसोधन न हुए तो यह बात तय है कि आने वाले समय में देश की आधी से अधिक जूता फैक्ट्रियों पर ताले लग सकते हैं। यह देश की जीडीपी के लिए तो बड़ा झटका होगा ही यह बेरोजगारी का भी बड़ा संकट साबित होगा। यह बात जूता निर्माताओं के संगठन एफएफएम के अध्यक्ष कुलदीप सिंह कोहली ने पत्रकारों से बात करते हुए शनिवार को आगरा के होटल लेमन ट्री में कही।
एफएएफएम – फ्रेटर्निटी ऑफ आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स के नेतृत्व में लेदर सेक्टर से जुड़े सभी प्रमुख संगठन एवं एसोसिएशन के संयुक्त प्रेसवार्ता में जूता निर्माताओं ने सरकार से अपनी मांगों को मीडिया से साझा किया। बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) में सुझावों के अनुसार आवश्यक बदलाव पर जोर देते हुए एफएफएम के अध्यक्ष कुलदीप सिंह कोहली ने कहा कि बीआईएस के लागू होने के बाद फुटवियर उत्पादों की बड़ी और मझोले स्तर की निर्माण इकाइयों और सभी आयातकों को एक जुलाई से 24 उत्पादों के लिए अनिवार्य गुणवत्ता मानकों का पालन करना अनिवार्य किया गया है। इस प्रकार इसका लागू करना छोटी इकाइयों के लिए प्री मैच्योर डिलीवरी यानि असामयिक गर्भपात जैसी स्थिति होगी। सरकारों को हमारी मांगों पर गंभीर होना होगा।
बीआईएस के खिलाफ यह संगठन हुए लामबंद
- एफएएफएम – फ्रेटर्निटी ऑफ आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स
- इंडियन फुटवियर कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इफ्कोमा)
- आगरा शू मटेरियल एसोसिएशन
- आगरा सोल एन्ड शू कंपोनेंट्स एसोसिएशन
- आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन
- केंद्रीय भीम युवा व्यापार मंडल
- कंफेडरेशन ऑफ इंडियन फुटवियर इंडस्ट्री
- मुंबई फुटवियर वेलफेयर एसोसिएशन
- आगरा पेपर पैकेजिंग एसोसिएशन
इस दौरान एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा केंद्र सरकार ने फुटवियर पर क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर जारी किया है 1 जुलाई से स्पोर्ट्स फुटवियर सहित सेफ़्टी, आर्म्डफ़ोर्सेज़ ईवीएम विशेष प्रयोजन के तकनीकी फुटवियर पर लागू हुआ है। सरकार एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है एक ओर जहाँ चीन से आने वाले सस्ते जूते डंप न हो सकें, दूसरी ओर घरेलू उपयोग के लिये बनने वाले जूते और निर्यात होने वाले जूतों की क्वालिटी एक ही हो। देश के ग्राहकों को विदेशों से जूते न ख़रीदने पड़े,बहुत बार ऐसा होता है कि अमेरिका इटली से जूते ख़रीदे होते हैं जो भारत के ही बने होते हैं। यह भी न्याय संगत नहीं की निर्यात के जूते कई प्रकार के टेस्ट के बाद जाते हैं अनेक केमिकल जो त्वचा को हानि पहुचाते हैं जिनसे कैंसर भी हो सकता हैं। भारत में बिकने वाले जूतों में वह टेस्ट नहीं होते।
लघु उद्योग भारती के जिला अध्यक्ष भुवनेश अग्रवाल ने बीआईएस के विरोध का पूर्ण समर्थन की बात करते हुए इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाये जाने की बात कही।
वहीं आगरा सोल एन्ड शू कंपोनेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अम्बा प्रसाद गर्ग ने कहा टेस्टिंग का पैमाना और प्रक्रिया क्या होगी यह भी स्पष्ट नहीं है यह सरल होनी चाहिए। केंद्रीय भीम युवा व्यापार मंडल के अध्यक्ष गजेंद्र पिप्पल ने कहा कि बीआईएस टेस्टिंग तथा प्रमाणन के लिए भी अभी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
इनकी रही मौजूदगी
इस दौरान एफमेक चन्दर सचदेवा, इफ्कोमा के महासचिव दीपक मनचंदा, आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष गगनदास रमानी, एफएफएम के उपाध्यक्ष चंदर दौलतानी, सचिव संचित मुंजाल, कोषाध्यक्ष दीपक पोपटानी, विनोद कत्याल, रूमी मगन, मनीष लूथरा, तरुण महाजन, राजू जी, वसीम अहमद आदि विशेष रूप से मौजूद रहे सञ्चालन नकुल मनचंदा ने किया।
वर्जन
आज भी देश में बिकने वाले 75% -80% जूते दस्तकारों/आर्टिज़न/ माइक्रो यूनिटों द्वारा बनाये जाते हैं और आज भी 50% से अधिक भारत में रहने वाले लोग अच्छा जूता उनके लिये दूर की कौड़ी है। वे भविष्य की क्वालिटी नहीं आज की आवश्यकता को देखते हैं।
- पूरन डावर, अध्यक्ष, एफमेक
कुकर के फटने से किसी की जान जा सकती है जूते के फटने से आदमी नहीं मर सकता हम बीआईएस को पूरी तरह ख़ारिज करते हैं यह हमें स्वीकार्य नहीं है।
- कुलदीप सिंह कोहली, अध्यक्ष, एफएएफएम