एचआईजी फ्लैट्स, संजय प्लेस स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में भागवत कथा का दूसरा दिन
मंदिर समिति करा रही कथा, कथा व्यास ने दिया ज्ञान हृदय में कैसे हो राम का वास
आगरा। हृदय में यदि श्रीराम का दरबार बसाना है तो उसमें बसे कैकई और मंथरा रूपी काम− क्रोध को निकालना होगा। जहां राम का वास होता है वहां बस प्रेम और भक्ति की साथ रहते हैं। इसके लिए जरूरी है राम नाम का अधिक से अधिक जाप और भगवत कीर्तन। श्रीमद् भागवत कथा के श्रोताओं को हृदय पवित्र रखने का यह उपाय सुझाया कथा व्यास पंडित प्रेम प्रकाश जी महाराज ने।
एचआईजी फ्लैट्स, संजय प्लेस स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव में मंदिर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन प्रथम स्कंध में वर्णित 24 अवतारों का वर्णन किया गया। दूसरे दिन के जजमान राज बंसल शांतनु बंसल और भानु प्रताप सिंह थे। वराह भगवान की कथा, शुक देव, नारद मुनी और राजा परीक्षित के जन्म की कथा कही गयी। उत्तरा के गर्भ में प्रवेश कर भगवान श्रीकृष्ण ने किस प्रकार भ्रूण रूपी परीक्षित के प्राणाें की रक्षा की यह वर्णन किया गया। कथा व्यास पंडित प्रेम प्रकाश महाराज ने भगवान के अवतारों के विषय में कहा कि समय− समय पर भगवान को साकार रूप में धरती पर आना पड़ता है। उन्होंने इसका वर्णन इस दोहे से किया− विप्र, धेनु, सुर, संत हित लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तन माया गुन गोपार।
कथा व्यास ने कहा कि व्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को राजा जनक के पास भेजा था ताकि उनकी काम और क्रोध भाव की परीक्षा हो सके। जिनमें इन दो शत्रुभावों का वास नहीं होता भगवत प्राप्ति उन्हीं को होती है। जहां कूड़ा होता है वहां कीड़े अवश्य होते हैं। भगवान को बुलाने के लिए काम, क्रोध, अहंकार, लोभ बाहर हटाने पड़ते हैं। जीवन को सरल बनाएं। कामनाओं के पूर्ण न होने पर ही क्रोध आता है। पूर्ण होने पर लोभ आता है। श्रीमद् भागवत जी की आरती के साथ दूसरे दिन की कथा का समापन हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष उषा शिवहरे, दिनेश अग्रवाल, पिंटू शिवहरे, कमल शर्मा, संदीप माहेश्वरी, अंजली गुप्ता, सचिन अग्रवाल, अनिल शर्मा, वर्षा, राधिका आदि उपस्थित रहे। शुक्रवार को तीसरे दिन की कथा में सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र प्रसंग होंगे।