जीवन शैली

आई ऋतु चहूंदिस फूले कानन कोकिला समूह मिलि गावत वसंत हि….

प्राचीन पुष्टिमार्गीय प्रेमनिधि मंदिर में पुरुषाेत्तम मास उत्सव के अन्तर्गत बसंत पंचमी मनोरथ हुआ आयोजित

आगरा। मधुप गुंजारत मिलत सप्तसुर भयो है हुलास तन मन सब जंतहि..अष्टछाप कवि श्रेष्ठ श्री कुंभनदास जी के इस पद का गान और श्रीश्याम बिहारी जी (बड़े गोविंद जी) के अधरों पर मधुर मुस्कान। दिव्य, मनोहारी छवि को देख भक्ता बार− बार अपने लड़ते की बलइयां लिये जा रहे थे। कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित श्री प्रेमनिधि मंदिर पर भक्त और भगवान का यही अलौकिक प्रेम दृश्यमान हो रहा था।
श्री प्रेमनिधि मंदिर में चल रहे पुरुषाेत्तम मास मनोरथ के अन्तर्गत 23 जुलाई 2023, दिन रविवार को बसंत पंचमी उत्सव मनाया गया। जजमान अनिल गुप्ता चांदी वाले थे। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि पुष्टिमार्गीय मान्यताओं में बसंत पंचमी को दो भावों में मनाया जाता है। प्रातःकाल बाल भाव में कुलहे (मोरपंखी) धारण कराते हैं और उत्थापन के पश्चात किशोर भाव में मुकुट और पगड़ी धारण कराते हैं। ठाकुर जी का कनेर, गेंदा जैसे पीले पुष्पों से श्रंगार किया गया। उत्सव के अन्तर्गत तांबे के बर्तन को नारंगी कपड़े से ढंककर ठाकुर जी के सामने रखा गया। इस बर्तन में विभिन्न प्रकार के पेड़ों की छोटी शाखाएं, पुष्प आदि रखे गए, जोकि बसंत ऋतु पर सृष्टि के श्रंगार का संकेत होता है। पंडित सुनीत गोस्वामी और पंडित दिनेश पचौरी ने बताया कि ठाकुर जी का केसरी खीर एवं केसरी पाग का भाेग लगाया गया। बसंत के धमार पर श्रद्धालुओं ने जमकर भक्तिमय नृत्य किया। आशीष बल्लभ पचौरी ने बताया कि 24 जुलाई, सोमवार को ठाकुर जी की छठी उत्सव मनाया जाएगा।