संवाद। नूरूल इस्लाम
अलीगढ़। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन जनाब शाहनवाज़ आलम साहब के निर्देशानुसार व उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर के आवाहन पर अल्पसंख्यक कांग्रेस जिला चेयरमैन जैनुल आबेदीन के नेतृत्व में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ निचली अदालतों द्वारा दिए जा रहे फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जिला अधिकारी अलीगढ़ के द्वारा ज्ञापन सौंपा गया
इस मौके पर बोलते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने कहा कि पिछले दो वर्षों से यह देखा जा रहा है कि निचली अदालतें पूजा स्थल अधिनियम 1991 के विरुद्ध फैसले सुना रही हैं। गौरतलब है कि उक्त अधिनियम यह स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 के दिन तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र है उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता और उसे चुनौती देने वाली कोई भी याचिका किसी अदालत, प्राधिकार अथवा न्यायाधिकरण के समक्ष स्वीकार भी नहीं की जा सकती। वहीं बाबरी मस्जिद पर दिये फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 को संविधान के बुनियादी ढांचे से जुड़ा बताया था। गौरतलब है कि संविधान के बुनियादी ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव संसद भी नहीं कर सकती जैसा कि केशवानंद भारती व एस आर बोम्मई केस समेत विभिन्न फैसलों में ख़ुद सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है।
प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने आगे कहा कि वहीं असलम भूरा बनाम भारत सरकार मामले में (रिट पिटीशन नंबर 131/1997) 14 मार्च 1997 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर, ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह की स्थिति में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। अपने पुराने निर्णय (रिट पेटिशन 541/1995) का हवाला देते हुए कोर्ट ने यह भी कहा था कोई भी अधिनस्थ अदालत इस फैसले के विरुद्ध निर्देश नहीं दे सकती।
जिला चेयरमैन जैनुल आबेदीन ने कहा कि लेकिन यह देखा जा रहा है कि बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद, बदायूं की जामा मस्जिद और यहाँ तक कि ताज महल तक को मन्दिर बताने वाली याचिकाएं ज़िला अदालतें स्वीकार कर पूजा स्थल अधिनियम 1991 और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध निर्णय दे रही हैं। जिसपर सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने और कार्यवाही करने की मांग हेतु अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा 9 मई 2022 और 12 सितंबर 2022 को आपको ज्ञापन प्रेषित किया जा चुका है।
इस मौके शहर महानगर अध्यक्ष अनवर अकील व विंसेंट जोयल ने कहा कि बनारस की ज़िला अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई द्वारा सर्वे का हालिया आदेश एक बार फिर पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन और आपके सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुला उल्लंघन है। हम आपको पुनः अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी याद दिलाकर आग्रह करते हैं कि अपने अधीनस्थ अदालतों द्वारा संविधान और स्थापित क़ानूनों के खिलाफ़ फैसले देने वाले जजों के खिलाफ़ सख़्त कार्यवाही करें ताकि न्यायपालिका की निष्पक्षता में लोगों का भरोसा क़ायम रह सके।
इस मौके पर लीना कुमार,सागर सिंह तोमर, ताज़ मोहम्मद डाक्टर ज़मीर मुस्ताक गाज़ी सगीर कुरैशी,फैजान मेवाती, मोहम्मद सलवान ठाकुर योगेन्द्र सिंह अजय शर्मा समीर मलिक साकिब मेवाती,रफीक फारूक खां,चाहत खान जमशेद खां, गुलफाम हफीज़ खां, घर्मवीर, राजवीर सिंह, अदनान कुरैशी, निज़ाम त्यागी,यामन खां ,सलमान अली ,माजिद मलिक, मोहम्मद शुवैल, आदि लोग मौजूद थे।