जीवन शैली

पवित्रा पहिरे हिंदोरे झूले, श्यामा श्याम बराबर बैठे, निरखत ही समतोले..

प्राचीन पुष्टिमार्गीय प्रेमनिधि मंदिर में पुरुषाेत्तम मास उत्सव के अन्तर्गत पवित्रा धारण उत्सव और सुंदर कांड पाठ हुआ आयोजित
आगरा। ललितादिक सब सखी झुलावत, ठाढ़ी खंभ अनुकूल। ब्रजजन जहां− तहां मिलि गावत, नृत्ययत प्रेम मगन सुधि भूले…इन भक्तिमय पदों का गान जहां श्याम बिहारी जी को बस एकटक निखारने के लिए मजबूर कर रहा था तो वहीं जब प्रभु पवित्रा धारण की तो भक्त और भगवान के मध्य संबंध का साक्षात्कार ब्रह्म संबंध के रूप में हुआ।
कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित प्राचीन पुष्टिमार्गीय श्री प्रेमनिधि मंदिर में मंगलवार को पवित्रा धारण उत्सव और सुंदर कांड पाठ का आयोजन किया गया। मुख्य जजमान रामनिवास गुप्ता ने स्वयं चिरंजीवी गुरु हनुमान जी के चरणाें में सुंदरकांड पाठ समर्पित किया। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि महाप्रभु जी संसार में अपने प्राकट्य को लेकर चिंतित थे। तब ठाकुर जी ने महाप्रभु जी को दीक्षा देकर अपने साथ मिलाने की प्रेरणा दी, जिसे ब्रह्मसंबंध कहते हैं।
पवित्रा 360 धागों वाले सूती कपड़े से बना होना चाहिए। 360 का आंकड़ा इंगित करता है हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के 360 दिन। पवित्रा में लगी 24 स्थानों पर गांठें इंगित करती हैं वर्ष की 24 एकादशी। पंडित सुनीत पचौरी और पंडित दिनेश पचौरी ने बताया कि पवित्रा को केसर, गोरोचन, कपूर आदि से रंगा जाता है। पुष्टिमार्ग के अनुसार इस उत्सव को वैष्णवजन ठाकुर जी एवं महाप्रभु के मिलन के रूप में मनाते हैं। आशीष बल्लभ पचौरी ने बताया कि 26 जुलाई, बुधवार को जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाएगा।