प्राचीन पुष्टिमार्गीय प्रेमनिधि मंदिर में पुरुषाेत्तम मास उत्सव के अन्तर्गत मनाए गए जन्माष्टमी उत्सव के दौरान श्रृंगारित श्री ठाकुर श्याम बिहारी जी।
आगरा। युवतिन बहु विधि भूषन दीजे विप्रन को गौदान। गोकुल मंगल महा महोत्सव कमल नैन घनस्याम। जैसे ही जन्म हुआ अजन्मे का वैसे ही सारे भक्त झूमने लगे जैसे हों ब्रज के ग्वाल ग्वालन। पुष्पों से श्रृंगारित ठाकुर जी को देख भक्त बस देखे ही जा रहे थे।
कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित प्राचीन पुष्टिमार्गीय श्री प्रेमनिधि मंदिर में बुधवार को जन्माष्टमी का आयोजन किया गया। चरण सेवक विजय सिंघल और अंकुर सिंघल थे। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि हम जन्माष्टमी को भगवान के निसाधनफलात्मक रूप में अवतरित होने के रूप में मनाते हैं। यह कोई सिद्धांत नहीं है। भगवान निसाधन फलरूप हैं इसलिए हमें भी निसाधन होना चाहिए। निषधान्त भाव का विषय है। निसाधन का अर्थ है न पुण्यात्मा, न पापी, आत्मोद्धार का साधन नहीं और जो लोग संसार में खोए हुए हैं उनके लिए भगवान ने अवतार लिया है। निषधान्त भाव का अर्थ है जिसे करना हमारे लिए साधन है परन्तु उसमें उद्धार की आशा नहीं करना। क्योंकि साधन से ऊपर उठने की भावना शरणागति की भावना के सामने शून्य है।
पंडित सुनीत पचौरी और पंडित दिनेश पचौरी ने बताया कि भगवान ने बुरे साधन वाले जीवों (जैसे पूतना) का भी उद्धार किया है, इस प्रकार किसी कारणवश यदि कोई साधन नहीं है तो भी भगवान उद्धार करते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें भी दुष्टता का अनुसरण करना चाहिए। व्रजभक्तों को निसाधन भाव से दर्शाया गया है।
आशीष बल्लभ पचौरी ने बताया कि 27 जुलाई, गुरुवार को नंदोत्सव उत्सव मनाया जाएगा।