सरकार कादियानी जमात को मुसलमानों का हिस्सा बनाने की कोशिश न करे : शाही इमाम पंजाब
लुधियाना, : केंद्री मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी की ओर से विश्व मुस्लिम समुदाय की ओर से एक सदी पहले से ही इस्लाम धर्म से निष्कासित जमात-ए-कादियान अहमदियां के समर्थन में दिए गए ब्यान से देश भर के मुस्लमानों में रोष फैल गया है। आज यहां पंजाब के मुसलमानों के मुख्य धार्मिक केंद्र जामा मस्दिज लुधियाना के बाहर सैंकड़ों मुसलमानों ने महिला व बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी का पुतला फूंक कर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर मजलिस अहरार इस्लाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि केंद्री मंत्री आंध्रा प्रदेश वक्फ बोर्ड का बहाना बना कर कादियानी जमात की जो हिमायत का ऐलान कर रही हैं वो ना सिर्फ अफसोस नाक है बल्कि सीधी इस्लाम धर्म में दखल अंदाजी है जिसे भारत के मुस्लमान कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि हैरत की बात है कि श्रीमती ईरानी कादियानी जमात के हक में ब्यान देते हुए कह रही हैं कि वो यह नसीहत अल्पसंख्यक मंत्री होने के नाते वक्फ बोर्ड को कर रही है और श्रीमती ईरानी दूसरी तरफ महिला व बाल विकास मंत्री होने के बावजूद मणिपुर में देश की बेटियों के साथ हुई क्रूरता पर चुप्पी साधे हुए हैं। शाही इमाम पंजाब ने कहा कि श्रीमती ईरानी को कादियानी जमात के समर्थन से पहले इतिहास और तथ्य दोनो को देखना चाहिए था, जिस तरह कोई भाजपा की नीतियों की विरोधता करने के साथ पार्टी का सदस्य नहीं बन सकता उसी तरह किसी भी धर्म को मानने वाला अगर अपने ही धर्म के मूल सिद्धांतों को नहीं मानता तो वो इस धर्म में नहीं रह सकता। कादियानी जमात का इतिहास भी श्रीमती ईरानी को देखना चाहिए उनकी हिमायत करने के लिए यह काफी नहीं कि वो इस्लाम और मुसलमानो के विरोधी हैं बल्कि आपको यह भी जान लेना चाहिए कि कादियानी जमात की नीव भारत में अंग्रेज सम्राज्य के समय उस वक्त रखी गई जब देश भगत आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दे रहे थे और कादियानी जमात का संस्थापक मिर्जा गुलाम बेशर्मी के साथ अंग्रेजों के साथ अंग्रेज सरकार के समर्थन में इश्तिहार और किताबें लिख रहा था। शाही इमाम मौलाना उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि श्रीमती ईरानी जी अगर इस मामले में सियासत ना करती तो उनको यह भी पता लगाना चाहिए था कि शांति और भाईचारे का दिखावा करने वाले इन कादियानी जमात के कितने ही कार्यकर्ता आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं जिनके खिलाफ बीते सालों में कई मुकद्दमे दर्ज किए गए हैं। शाही इमाम ने कहा कि हम मोदी सरकार को अपने संदेश में यह याद दिलाना चाहते हैं कि हमारे धर्म में कोई पसमांदा मुसलमान नही होता लेकिन अगर सरकार फिर भी आर्थिक रूप में भारत के बहुसंख्यक मुसलमानो को पसमांदा बता कर उनकी हमदर्दी बटोरना चाहती है तो यह बात याद रखे कि हम मुसलमान पसमांदा हों यह ना हों सब मुस्लमानों के लिए हमारे आखरी नबी हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैही वसल्लम अपनी जान-माल से ज्यादा अजीज हैं, अगर सरकार का कोई मंत्री जमात-ए-कादियान की वकालत करता है जो हमारे प्यारे नबी हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैही वसल्लम के खिलाफ हैं तो पूरे देश के मुस्लमान इस मामले में एकजुट है और गुस्ताखी को बर्दाश्त नहीं करेगें। शाही इमाम ने कहा कि जहां तक वक्फ संपत्तियों पर हक की बात है तो यह संपत्तियां हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैही वसल्लम के मानने वाले मुसलमानों ने अपनी नेक कमाई से बनाई हैं ना की जंग-ए-आजादी के गद्दार मिर्जा कादियानी के चेलों ने, इसलिए इन संपत्तियों पर हक सिर्फ मुसलमानों का ही है। शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि हम आपको यह भी स्पष्ट करते हैं कि इस्लाम में मुसलमान शिया, सुन्नी, बरेलवी, देवबंदी तो हैं लेकिन इन सब का भी अहमदिया जमात को लेकर एकजुट फैसला है कि जमात-ए-कादियान का इस्लाम से कोई संबंध नहीं। शाही इमाम ने कहा कि श्रीमती ईरानी को चाहिए कि वो बिना शर्त अपना यह गैर जिम्मेदाराना ब्यान वापिस लें।