आगरा। एक ओर घूंघट की ओट में सकुचाती दुल्हन वृंदा तो दूजी ओर अपनी चंचल अंखियों से दुल्हन को निहारते दूल्हा बने ठाकुर जी। सेहरा सजा, हल्दी और मेहंदी की रीत हुयी और फिर भांवरे पड़ीं मोद भरी। बैंड बाजों की धुन पर बराती बने श्रद्धालु चले बरात में और देव− गंधर्वों ने पुष्पवर्षा की देवलोक से ही। अद्भुत दृश्य, मनोरम भक्ति।
कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित प्राचीन पुष्टिमार्गीय श्री प्रेमनिधि मंदिर में शनिवार को तुलसी विवाह मनोरथ आयोजित किया गया। इस मनोरथ के चरण सेवक महेश अग्रवाल थे। मंदिर परिसर में सुबह से ही विवाह की मांगलिक विधियां आरंभ हो गयी थीं। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि राक्षस जलंधर की पतिव्रता पत्नी वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु पाषाण रूप में शालिग्राम बन गए। प्रभु के आशीर्वाद से वृंदा अगले जन्म में तुलसी के रूप में अवतरित हुई और भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से विवाह हुआ। पुष्टिमार्ग में ठाकुर श्री के विवाह के पद इसी निमित्त गाए जाते हैं। पंडित सुनीत गोस्वामी और पंडित दिनेश पचौचरी ने बताया कि गन्ने के मंडप में तुलसी जी का पूरा श्रंगार कर ठाकुर जी को वर के रूप में सजाया गया। महिलाओं ने मेहंदी, महावर और हल्दी के कार्यक्रम किए। तुलसी जी को श्रंगार सामाग्री भेंट कर कन्यादान किया। पंडित आशीष बल्लभ पचौरी ने बताया कि यह मनोरथ कन्या के विवाह हेतु सुयोग्य वर एवं सुहागिन स्त्रियों के अखंड सुहाग के लिए किया जाता है। रविवार को व्यंजन द्वादशी मनोरथ उत्सव आयोजित होगा।