आगरा। नवल कुंवर ब्रजराज लाडिलो जेंवत है रोटी और बरी। बरा भुजेना और खीचरी सदघृत अधिक सुगंध परी…ठाकुर श्री श्याम बिहारी जी को भक्तों ने विविध राजभाेग परोसे व्यंजन द्वादशी पर। जैसे प्रभु के चरणाें में सृष्टि भर के स्वाद परोसने का प्रयास किया गया हो।
अवसर था कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित श्री प्रेमनिधि मंदिर में आयोजित पुरुषाेत्तम मास मनोरथ उत्सव का। उत्सव के अन्तर्गत रविवार को व्यंजन द्वादशी मनाई गयी। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि बल्लभ सम्प्रदाय में शिशिर ऋतु में आने वाली व्यंजन द्वादशी मनोरथ का विशेष महत्व है। ठाकुर जी के राजभोग में कच्ची रसोई का भोग लगाया गया, जिसमें प्रमुख रूप से कढी बाजरा, बाजरे की खिचड़ी, महेरी, दाल की बड़ी और नमकीन व्यंजन पापड़, कुरैरी, आचार, दालसेव का महत्व है। संध्या आरती में मूंगफली, गजक और रेबड़ी भोग में धराई गई। पंडित सुनीत पचौरी ने बताया कि ठाकुर जी का फूल बंगला बनाकर व्यंजन द्वादशी के पदों का गायन किया गया। पंडित दिनेश पचौरी ने कहा कि जिस तरह छप्पन भोग में छप्पन तरह की मिठाई होती हैं उसी तरह व्यंजन द्वादशी में छत्तीस प्रकार के नमकीन व्यंजन का भोग लगाया जाता है। इस मनोरथ के चरण सेवक हैप्पी शिवहरे थे। पंडित आशीष बल्लभ पचौरी ने बताया कि सोमवार को सफेद हिंडोले का मनोरथ उत्सव मनाया जाएगा।